नई दिल्ली। चीन की चालों और पाकिस्तान की नापाक हरकतों पर भारत अब और नजदीकी नजर रख सकेगा। सिंधु नेत्र उपग्रह के सफल प्रक्षेपण के साथ ही लद्दाख के पहाड़ी इलाकों से लेकर हिंद महासागर क्षेत्र (आइओआर) की हर छोटी-बड़ी गतिविधियों पर निगरानी रखने की भारत की क्षमता बढ़ गई है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने श्सिंधु नेत्रश् और ब्राजील के अमेजोनिया-1 समेत 19 उपग्रहों का रविवार को सफल प्रक्षेपण किया। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सुबह 10.30 बजे रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान यानी पीएसएलवी-सी51 से इन सभी उपग्रहों को प्रक्षेपित किया गया।
यह न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआइएल) द्वारा पहला पूरी तरह से व्यावसायिक प्रक्षेपण था। इसरो के व्यावसायिक प्रक्षेपण के काम को देखने के लिए 2019 में विज्ञान विभाग के तहत एक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी के तौर पर एनएसआइएल का गठन किया गया था। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के युवा विज्ञानियों ने सिंधु नेत्र उपग्रह को विकसित किया है। यह उपग्रह हिंद महासागर क्षेत्र में संचालित युद्धपोत और व्यापारिक पोत की खुद से पहचान कर लेगा। सूत्रों ने बताया कि सिंधु नेत्र से अपने क्षेत्र में निगरानी रखने की भारत की क्षमता बहुत अधिक बढ़ गई है। चीन से लगने वाले लद्दाख क्षेत्र से लेकर पाकिस्तान के सीमवर्ती इलाकों पर इसके जरिये नजदीकी नजर रखी जा सकेगी। इसके अलावा दक्षिण चीन सागर, अदन की खाड़ी और अफ्रीकी तटों पर भी इससे नजर रखी जा सकेगी। एसकेआइ ने अपने उपग्रह के साथ प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर और डिजिटल फॉरमेट में भागवत गीता को भी अंतरिक्ष में भेजा है। इसरो का यह पहला अंतरिक्ष मिशन है। यह पूरी तरह से व्यावसायिक प्रक्षेपण है। इसरो ने ब्राजील के अर्थ ऑब्जर्वेशन सेटेलाइट अमेजोनिया-1 के साथ ही अमेरिका के 13 और भारत के पांच उपग्रहों को लांच किया है। भारतीय उपग्रहों में सतीश धवन सेटेलाइट (एसडी-सैट) और यूनिटी सेटेलाइट भी शामिल है। एसडी-सैट चेन्नई स्थित स्पेस किड्ज इंडिया (एसकेआइ) का छोटा उपग्रह है, जबकि यूनिटी देश के तीन इंजीनियरिंग एवं तकनीकी शैक्षणिक संस्थानों का संयुक्त उपग्रह है।