नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील के बाद देश में टीकाकरण अभियान में तेजी आ गई है। टीका लगवाने के लिए दो दिन के भीतर ही लगभग 50 लाख लोगों ने को-विन पोर्टल पर स्वयं रजिस्ट्रेशन कराया है। आमजन के लिए सोमवार पहली मार्च से टीकाकरण शुरू हुआ था, इसमें 60 साल से ज्यादा और गंभीर बीमारियों से ग्रस्त 45 से अधिक उम्र के लोगों को कोरोना रोधी टीका लगाया जा रहा है।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मंगलवार दोपहर तक इस चरण में 2.08 लाख लाभार्थियों को टीके की पहली खुराक दे दी गई है। इस आयु वर्ग के लिए को-विन पोर्टल पर सोमवार सुबह नौ बजे से रजिस्ट्रेशन शुरू हुआ था। अब तक लगभग 50 लाख लोगों ने को-विन पोर्टल पर खुद से रजिस्ट्रेशन कराए हैं। उन्होंने बताया कि आरोग्य सेतु जैसे प्लेटफार्म के जरिये भी टीका लगवाने के लिए रजिस्ट्रेशन और स्लाट की बुकिंग कराई जा सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस चरण के पहले दिन यानी सोमवार को नई दिल्ली स्थित एम्स में टीका लगवाया था। टीका लगवाने के बाद उन्होंने इस आयु वर्ग के सभी लोगों से टीका लगवाने की अपील की थी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि अब तक कुल 1.54 करोड़ लोगों को टीका लगाया जा चुका है। जिसमें से अभियान के पहले चरण में स्वास्थ्यकर्मियों और फ्रंटलाइन वर्कर्स को वैक्सीन की 1.48 करोड़ डोज लगाई जा चुकी है। इनमें 67.04 लाख स्वास्थ्यकर्मियों को पहली और 25.98 लाख को दूसरी डोज दी गई है। जबकि, 53.43 लाख फ्रंटलाइन वर्कर्स को अब तक वैक्सीन की पहली खुराक दी चुकी है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि को-विन के पहले संस्करण में शुरू में कुछ गड़बड़ी सामने आई थी, लेकिन इसके दूसरे संस्करण को-विन2.0 में अभी तक किसी तरह की परेशानी सामने नहीं आई है। सरकार इस पर लगातार नजर रख रही है। डाटा की सुरक्षा और उसे किसी भी तरह के साइबर हमले से बचाने के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। लाभार्थियों के सिर्फ नाम, आयु और लिंग की जानकारी ली जा रही है, क्योंकि लोगों को दूसरी डोज भी दी जानी है।
टीकाकरण अभियान में 26,000-27,000 अस्पताल शामिल हैं। इनमें 12,500 निजी क्षेत्र के अस्पताल हैं। इस बीच नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने एक बार फिर लोगों से टीका लगवाने की अपील की है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि टीका लगवाने के बाद भी कोरोना से बचाव के उपायों में किसी तरह की ढिलाई नहीं करनी चाहिए। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और उनकी पत्नी ने दिल्ली हर्ट एंड लंग इंस्टीट्यूट में टीका लगवाया। हर्षवर्धन से पहले उनकी पत्नी नूतन गोयल को टीका लगाया गया। उन्होंने लोगों से भी टीका लगवाने की अपील की और कहा कि वैक्सीन को लेकर किसी तरह का संदेह नहीं होना चाहिए। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी दिल्ली में सेना के आरआर अस्पताल में टीका लगवाया। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी पटना में कोरोना वैक्सीन की पहली डोज ली। उन्होंने पटना एम्स में स्वदेशी कोवैक्सीन लगवाई और उसके लिए 250 रुपये भी दिए, जबकि सरकारी अस्पतालों में मुफ्त में टीका लगाया जा रहा है। कर्नाटक के कृषि मंत्री बीसी पाटिल मंगलवार को अस्पताल की जगह अपने घर में टीका लगवा कर विवादों में घिर गए। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री के. सुधाकर ने तो उनके इस कदम की आलोचना की ही है, केंद्र सरकार ने भी रिपोर्ट तलब की है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा, श्प्रोटोकाल में इसकी अनुमति नहीं है। हमारे संज्ञान में यह बात आई है और इस पर राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी गई है। पाटिल ने सरकारी अस्पताल के डॉक्टर को अपने घर बुलाया, जहां उन्हें और उनकी पत्नी को टीका लगाया गया। अभिनेता कमल हासन ने भी चेन्नई में एक अस्पताल में टीका लगवाया। उन्होंने ट्वीट किया, श्मैंने श्री रामचंद्र अस्पताल में टीका लगवाया है। जिन्हें अपने साथ ही दूसरों की फिक्र है, उन्हें टीका लगवाना चाहिए।श् केरल की स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा, आंध्र प्रदेश के राज्यपाल बिश्वभूषण हरिचंदन और उनकी पत्नी सुपर्व हरिचंदन ने भी वैक्सीन की पहली डोज ली है। कोटक महिंद्रा बैंक के प्रबंध निदेशक और सीईओ उदय कोटक ने भी मंगलवार को टीके की पहली खुराक ली। वहीं, देशभर में हो रहे कोरोना टीकाकरण पर सवाल उठाते हुए महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि पहले चरण के टीकाकरण अभियान के लिए केंद्र सरकार ने 210 रुपये प्रति खुराक की दर से टीके की 1.65 करोड़ खुराकें खरीदी थीं। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने टीकाकरण अभियान के लिए बजट में 35,000 करोड़ रुपये रखे गए हैं। इस रकम में 210 रुपये प्रति खुराक की कीमत पर 1.5 अरब से ज्यादा टीके की खुराकें खरीदी जा सकती हैं और 75 करोड़ लोगों को दो बार टीका लगाया जा सकता है, जिसमें देश की तकरीबन पूरी वयस्क आबादी आ जाएगी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर बजट में प्रावधान किए गए हैं तो प्राइवेट अस्पतालों में आम लोगों से शुल्क क्यों लिया जा रहा है।