हरिद्वार। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील के बाद पंचदशनाम जूना अखाड़ा ने शनिवार देर शाम कुंभ विसर्जन की घोषणा कर दी। अखाड़ा पदाधिकारियों एवं संतों की आपात बैठक में कोविड के बढ़ते हुए खतरे को देखते हुए यह निर्णय लिया गया। जूना के सहयोगी अग्नि, आह्वान और किन्नर अखाड़ा भी इसमें शामिल हैं। पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी और श्री तपोनिधि आनंद अखाड़ा ने भी शनिवार से कुंभ विसर्जन कर दिया है। विधिवत समापन 30 अप्रैल को होगा। 30 अप्रैल कुंभ अवधि तक सात अखाड़ों में आयोजन होते रहेंगे।
महाकुंभ में भीड़ के चलते कोरोना फैलने से सवाल उठने लगे थे। 12 और 14 अप्रैल के स्नान में 39 लाख से अधिक श्रद्धालुओं और संतों की डुबकी लगाए जाने के बाद हरिद्वार में कोरोना तेजी से फैल गया है। मरीजों के साथ मृतकों की संख्या भी बढ़ने लगी है। कोविड के प्रसार होने से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने जूना पीठाधीश्वर अवधेशानंद गिरी से टेलीफोन पर वार्ता की। कुंभ मेला प्रतीकात्मक करने की अपील की। जिसके बाद जूना अखाड़ा में शनिवार शाम आपात बैठक बुलाई गई। जिसमें आपसी सहमति से कुंभ मेला के विसर्जन की घोषणा हुई। अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत प्रेमगिरि की अध्यक्षता एवं अंतरराष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहंत हरिगिरि के संचालन में वैश्विक यह फैसला लिया गया। संतों ने कहा कि कोरोना के बढ़ते प्रकोप से मेले में सामुदायिक संक्रमण फैलने की आशंका बढ़ रही है। लिहाजा, सभी की सुरक्षा के लिए मेला विसर्जन आवश्यक हो गया है। श्रीमहंत हरिगिरि ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह की अपील के बाद अखाड़ा ने मेले में समस्त देवी-देवताओं जिनका आहवान किया था, उनका पूजा-अर्चना कर विर्सजन कर दिया गया। श्रीमहंत हरिगिरी ने कहा कि देवी देवताओं से कोरोना महामारी से पूरे विश्व को मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की। श्रीमहंत प्रेम गिरि ने कहा देवी देवताओं के विसर्जन के साथ ही कुंभ मेला विसर्जित हो गया है। जूना अखाड़ा के घोषणा से उनके सहयोगी अग्नि अखाड़ा, आह्वान अखाड़ा और किन्नर अखाड़ा का भी कुंभ विर्जसन हो गया है। श्री निरंजनी और आनंद अखाड़ा पहले ही 17 अप्रैल से कुंभ मेला विसर्जन की घोषणा कर चुके हैं। शनिवार को छह अखाड़ों के कुंभ विसर्जन से अघोषित रूप से कुंभ का समापन भी हो गया।