रुद्रप्रयाग। शहर में जल संस्थान की लापरवाही के कारण लोगों दूषित पानी को मजबूर हैं। जल संस्थान की खामियों की वजह से लोगों स्वास्थ्य दांव पर लगा हुआ है। लोगों का कहना है कि अगर वो कोरोना से बच भी जाए तो इस दूषित पानी पीने से जरूर लोग मर जाएंगे।
इन दिनों रुद्रप्रयाग शहर में इतने गंदे पानी की आपूर्ति हो रही है कि लोग उसे पीना तो दूर और कपड़े भी नहीं धो सकते हैं। नल से पानी के रूप में आधा गंदा पानी और मिट्टी निकल रहा है। गंदे पानी की आपूर्ति की वजह से शहर भर के लोग पेयजल के लिए मोहताज हो गए हैं। वहीं, पानी न मिलने से लोग इसी दूषित पानी को पीने के लिए मजबूर हैं। ऐसे में यह दूषित पानी गंभीर बीमारियों को न्योता दे रहा है.व्यापार संघ जिलाध्यक्ष अंकुर खन्ना का कहना है कि दूषित जल की आपूर्ति लोगों के स्वास्थ्य के साथ बड़ा खिलवाड़ है। इस गंदे पानी से टाइफाइड होने का खतरा है, जिससे शरीर का इम्युनिटी सिस्टम बिगड़ जाता है। स्थानीय निवासी अनुराग जगवान, सुनील डिमरी, राकेश पंवार, धाम सिंह आदि लोगों का कहना है कि अभी बरसात आरंभ भी नहीं हुई है और पानी इतना गंदा सप्लाई किया जा रहा है। ऐसे में बरसात में क्या हाल होंगे, यह सहज ही समझा जा सकता है। लोगों का कहना हैय सिंह का कहना है कि रुद्रप्रयाग को जलापूर्ति करने वाले स्रोत के ठीक ऊपर पिछले दिनों मोटरमार्ग का निर्माण का मलबा डाला गया है। ऐसे में जरा सी बारिश आने पर पूरे स्त्रोत के पानी में मलबा आ जाता है, जिस कारण गंदे जल की आपूर्ति हो रही है। स्रोत पर हालांकि फिल्टर लगाए गए हैं। लेकिन फिल्टर की क्षमता केवल 10 लाख कि जल संस्थान द्वारा लाखों रुपयों का फिल्टर लगाने के बाद भी आखिर जनता को क्यों इतना गंदा पानी पिलाया जा रहा है। जबकि फिल्टर मेंटेनेंस के नाम पर हर साल लाखों का बजट जल संस्थान ठिकाने लगाता है, बावजूद लोगों को दूषित पानी पीने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। जल संस्थान के अधिशासी अभियंता संजलीटर की है, जबकि जरूरत 40 लाख लीटर की है।