बृजेश शुक्ला जी की रिपोर्ट—-क्लब कल्चर, बंगाल में लगभग हर मुहल्ले में एक क्लब है जिसमे 20-25 बेरोजगार युवाओं का ग्रुप बनाया जाता है इन्हें TMC से 3000₹ महीने मिलता है । जिससे उस क्लब में कैरम, लूडो, ताश, और अन्य खेलों के जरिये जुआ का अड्डा बनाया जाता है जिससे और भी लोग खेलो के बहाने जुड़ जाते है वहाँ लॉटरी भी बेची जाती है। कल्चरल कार्य के नाम पर हर वर्ष 50000₹ हर क्लब को दिया जाता है सरकार की तरफ से, ये 20-25 लड़के 200-300 घरो पर नज़र रखते है, हर लड़का कम से कम 12 घरो पर नज़र रखता है वो कम से कम 4 घरो के चबूतरों पर TMC का झंडा लगवा देता है और अपने एरिया में देखता है कि कोई दूसरी पार्टी के लिए काम तो नही कर रहा अगर ऐसा उसे लगता है तो वो उसे धमकी देता है और उसके घर के लोगो को सरकारी योजनाओं से वंचित करवाया जाता है। तरह तरह से परेशान भी करते है। मुहल्ले में कोई भी निर्माण होता है तो कट मनी ली जाती है पैसे वालो को चिन्हित करके उनसे कुछ पैसे महीने का तय किया जाता है। ये लोग पार्टी के लिए गुंडागर्दी करते है। वसूली करते है इनकी मदद TMC का लोकल नेता और स्थानीय पुलिस भी करती है। ये लोग TMC का मेम्बर बनाते है और हर वर्ष सदस्यता शुल्क वसूलते है। लगभग हर दुकानदार को भी शुल्क देना होता है कट मनी का पूरा सिंडिकेट है जिसे ममता का भतीजा संभालता है सैकड़ो करोड़ो की उगाही होती है और उसमें से ही इन क्लबो में बैठे गुंडो को सुविधाएं दी जाती है। वोटिंग के समय ये लोग घर घर से लोगो को ले जाकर tmc के लिए वोटिंग करवाते है। जो ज्यादा विरोध करता है उसे मारते है और कई लोगो की तो हत्या भी कर देते है। ये सब तभी बन्द होगा जब वहा की पुलिस TMC के लिए काम न करे इसके लिए वहां राष्ट्रपति शासन जरूरी है जो कम से कम 2 वर्ष का हो तब जाकर सिंडिकेट टूटेगा। क्लबो में बैठे गुंडो पर मुकदमे हो सज़ा मिले गुंडों के आकाओं को भी पकड़ कर कार्यवाही हो तब जाकर हालात सुधरेगे। TMC ने नफरत और लालच दे कर स्थानीय सामाजिक संरचना ही बदल दी लोकतंत्र क्या होता है उसकी तो बखिया उघेड़ दी अपनी बात कहने और मनवाने का अधिकार केवल TMC के गुंडों को होता है आम लोगों के मुंह खोलने पर या TMC के खिलाफ बोलने पर वहां देशद्रोहियों जैसा बर्ताव किया जाता है। लिहाजा अब वक़्त आ गया है कि भारत सरकार लोकतंत्र के हित में सख्त से सख्त निर्णय ले। और बंगाल और वहाँ के लोकहितों को बचाने का कार्य करे। वरना वो दिन दूर नहीं जब जल चुके कश्मीर की भांति बंगाल भी सुलग उठे।