ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि वर्तमान समय ग्लोबल इम्युनिटी और ग्लोबल साॅलिडैरिटी को बनाये रखने का है। शांति, सहिष्णुता, समावेशी संस्कृति, समझ और एकजुटता के साथ एक स्थायी दुनिया का निर्माण करने का है। आपस के सारे मतभेदों को अंगीकार कर सौहार्द और करूणा के साथ जीने का समय है। स्वामी जी ने कहा कि कोरोना ने पूरे विश्व में जो तबाही मचायी है उससे वर्तमान पीढ़ियों को बचाने के लिए एक समझ, शांति और अहिंसा की संस्कृति विकसित करना होगा। यह समय अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और सार्वभौमिक स्तर पर मानवता और इन्सानियत को जागृत करने का है। एक अदृश्य वायरस सीमाओं से परे होकर सारी दुनिया में तांडव मचा रहा है उससे हमें शिक्षा लेनी होगी कि सभी राष्ट्र अपनी सीमाओं और मतभेदों से बाहर निकलकर एकजुट होकर मानवता की रक्षा के लिये साथ साथ कदम बढ़ायें। आईये हम सब हाथ से हाथ और दिल से दिल मिलायेंय मतभेद हो पर मनभेद न हो, ऐसी संस्कृति विकसित करें ताकि सब मिल पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना कर सके।
स्वामी जी ने कहा कि जब हम सार्वभौमिक शान्ति की बात करते हैं तो पहले हमें प्रकृति से जुड़ना होगा प्रकृति के साथ अपना रिश्ता मजबूत करना होगा क्योंकि जीवन में शान्ति प्रकृति के सान्निध्य के बिना नहीं आ सकती। उतार-चढ़ाव भरे दौर में प्रकृति ही शीतलता का अहसास कराती है। जिंदगी की आपाधापी, संघर्ष और पीड़ा के समय में वह साथ निभाती है तथा जीवन में आने वाली कठिनाइयों और समस्याओं से लड़ने में भी सहायता करती है।
वर्तमान समय में प्रकृति और मानव के बीच रिश्ते इंसानियत से युक्त नहीं है। मानव इंसानी चरित्र छोड़कर प्रकृति के साथ मशीनी चरित्र के रूप में व्यवहार कर रहा है जिससे कई समस्याएँ उत्पन्न हो रही है इसलिये हमें प्रकृति का शोषक नहीं बल्कि पोषक बनकर एक ऐसी दुनिया बनाने की ओर बढ़ना होगा जहां प्रेम हो, हृदय में करूणा हो, सभी की पहुंच मौलिक सुविधाओं तक हो, सभी को सम्मानपूर्वक जीवन जीने का अधिकार मिले तथा हमारे हृदय में किसी के प्रति घृणा और भेदभाव न हो। एक नई दृष्टि के साथ सभी एकजुट होकर भाईचारा युक्त समाज का निर्माण करने के लिए संकल्प लें।