ऋषिकेश। अन्तर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि प्रकृति-आधारित प्रत्येक समस्या का कारण भी हम मनुष्य हैं और समाधान भी हम ही हैं। ‘हम हैं समाधान’ और इसके लिये एकजुट होकर समेकित प्रयास करने होंगे क्योंकि जैव विविधता हमारे सतत विकास और बेहतर निर्माण का आधार है। स्वामी जी ने कहा कि वर्तमान समय में हम जो भी प्रकृति प्रदत समस्यायें देख रहे हैं वह मनुष्य के लिये एक अलार्म है। अगर हमने अपनी दिनचर्या और जीवनशैली में परिवर्तन नहीं किया तो मानव का अस्तित्व संकट में आ सकता है। अगर हम अपने भविष्य की परवाह करते हैंय आने वाली पीढ़ियों को एक स्वच्छ और सुन्दर वातावरण देना चाहते हैं तो सुव्यवस्थित मेगा-बायोडायवर्सिटी का ढ़ाचा तैयार करना होगा जिसमें सभी खुलकर सांस ले सकें। पृथ्वी सब प्राणियों का घर है इसलिये इस घर को सुरम्य बनाये रखना हम सभी का नैतिक कर्तव्य भी है।
स्वामी जी ने कहा कि अभी हमारे पास अवसर है अगर हम अपने दृष्टिकोणय चितंन और व्यवहार में सकारात्मक बदलाव करें तो आने वाले संकट को टाला जा सकता है। अब वह समय आ गया है जब हम केवल सतत, सुरक्षित और प्रकृति के अनुकूल विकास की ओर बढ़ें। जब हमारे विकास का आधार प्रकृति आधारित होगा तभी जैव विविधता में आ रही गिरावट को रोका जा सकता है।
स्वामी जी ने कहा कि अब हमें ’यूज एंड थ्रो कल्चर से यूज एंड ग्रो’ कल्चरय संस्कृति को अपनाना होगा। हमें अपने अपशिष्ट प्रबंधन के लिये ’रिड्यूस, रीयूज, तथा रीसाइकल’ प्रक्रिया को चुनना होगा। हमें विकास के परंपरागत स्वरूप की ओर बढ़ना होगा क्योंकि अब वही मार्ग हमारे ग्रह को मेगा-बायोडायवर्सिटी वाला ग्रह बनाने हेतु हमारी मदद कर सकता है। वर्ष 2019-20 में यू.एन. द्वारा जारी की गयी रिपोर्ट के अनुसार, मानव गतिविधियों के कारण दस लाख प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है क्योंकि मनुष्य लगातार उन सभी प्राकृतिक संसाधनों को नष्ट कर रहा हैय प्रदूषित कर रहा है जिन पर हम सभी का अस्तित्व निर्भर करता है। जैव विविधता में लगातार आ रही गिरावट न केवल एक पर्यावरणीय क्षति है बल्कि यह नैतिक पतन भी है। आईये एकजुटता के साथ संकल्प ले कि एकल उपयोग प्लास्टिक का उपयोग नहीं करेंगे क्योंकि उससे जलीय जीवन अत्यधिक प्रभावित हो रहा है तथा प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और संवर्द्धन के सहभागी होकर ‘हम समाधान का हिस्सा हैं’ वर्ष 2021 की इस थीम को चरितार्थ करने में हम सब का सहयोग ही इसका समाधान है।