देहरादून। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान गुवाहाटी (आईआईटी गुवाहाटी) के शोधकर्ताओं द्वारा इमारतों के स्वचालित जलवायु नियंत्रण के लिए स्मार्ट विंडो सामग्री विकसित की गई है। डॉ. देवव्रत सिकदार, सहायक प्राध्यापक, इलेक्ट्रॉनिकी एवं विद्युतीय अभियांत्रिकी विभाग, ने अपने शोध विद्यार्थी, आई आई टी गुवाहाटी के आशीष कुमार चैधरी के साथ, एक स्मार्ट विंडो सामग्री तैयार की है जो एक लागू वोल्टेज की प्रतिक्रिया में इससे गुजरने वाली गर्मी और प्रकाश की मात्रा को प्रभावी ढंग से नियंत्रित कर सकती है। ऐसी स्मार्ट विंडो सामग्री इमारतों में कुशल स्वचालित जलवायु नियंत्रण प्रणाली विकसित करने में मदद करेगी। उनके अध्ययन के परिणाम हाल ही में “सोलर एनर्जी मटीरियल्स ऐंड सोलर सेल्स” नामक जर्नल में प्रकाशित हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के अनुसार, प्रत्येक वर्ष विश्व भर की इमारतों में 36 प्रतिशत ऊर्जा उपयोग और 39 प्रतिशत ऊर्जा से संबंधित कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन होता है। इमारतों में ऊर्जा की प्राथमिक खपत जलवायु नियंत्रण प्रणाली द्वारा होती है, जिसमें ऊर्जा की खपत करने वाले उपकरणों का उपयोग घर को आरामदायक रखने और घर के अंदर की तापमान और चमक बनाए रखने के लिए किया जाता है। इसलिए, किसी भी इमारत में ताप, शीतलन और प्रकाश भार ही इमारत के प्रमुख ऊर्जा-खपत खंड होते हैं। पेरिस जलवायु समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए, एक इमारत की ऊर्जा तीव्रता- इमारतों द्वारा कितनी ऊर्जा का उपयोग किया जाता है- में वर्ष 2030 तक 30 प्रतिशत तक सुधार लाना आवश्यक है।
इलेक्ट्रॉनिकी एवं विद्युतीय अभियांत्रिकी विभाग, आईआईटी गुवाहाटी के सहायक प्रोफेसर डॉ. देबब्रत सिकदार ने कहा, ष्हाल के वर्षों में इमारतों में बेहतर प्रकाश और ताप प्रबंधन के लिए टिकाऊ वास्तुशिल्प डिजाइनों पर ध्यान दिया गया है, और स्मार्ट खिड़कियाँ लगवाना, ऐसी संरचनाओं के लिए पहला कदम है।ष् परंपरागत रूप से, खिड़की के डिजाइन स्थिर होते हैं, अर्थात, वे विशिष्ट जलवायु परिस्थितियों के लिए पूर्वनिर्धारित होते हैं। दूसरी ओर, उभरती हुई स्मार्ट खिड़कियाँ बाहरी उत्तेजनाओं के जवाब में एक इमारत में प्रवेश करने वाले प्रकाश और गर्मी विकिरण की मात्रा को गतिशील रूप से समायोजित करते हुए इमारत की ऊर्जा का संरक्षण करती हैं।