ऋषिकेश। आज पूरे विश्व में ‘मासिक धर्म स्वच्छता दिवस’ मनाया जाता है। इसका उद्देश्य समाज में फैली मासिक धर्म संबंधी वर्जनाओं और अवधारणाओं को दूर किया जा सके तथा किशोरियों तथा महिलाओं को इससे संबंधित सही और सटीक जानकारी उपलब्ध हो सके। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि वास्तव में मासिक धर्म केवल महिलाओं का ही विषय नहीं है बल्कि पूरे परिवार के साथ कहीं न कहीं पूरे राष्ट्र का स्वास्थ्य भी इससे जुड़ा हुआ है। देखा जाये तो यह विषय देश की आधी आबादी से जुड़ा हुआ है और यह इसलिये भी जरूरी है क्योंकि यह हमारी बेटियों के जीवन का फुलस्टाप बनता जा रहा है अतः यह केवल चिंतन का नहीं बल्कि एक्शन का विषय भी है। स्वामी जी ने कहा कि माहवारी स्वस्थ तो जीवन मस्त और माहवारी है तो हम है क्योंकि माहवारी अर्थात जीवन की तैयारी। माहवारी अभिशाप नहीं, वरदान इसलिये चुप्पी तोड़े और इस पर खुलकर चर्चा करें।
महिलाओं एवं किशोरियों को माहवारी के दौरान कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इनमें से कुछ धार्मिक और कुछ सामाजिक स्तर की चुनौतियां होती हैं। कई स्थान ऐसे हैं जहाँ मासिक धर्म के दौरान लड़कियों को परिवार से अलग-थलग कर दिया जाता है। पारिवारिक, धार्मिक और सामाजिक स्तर पर कई स्थानों पर उनका प्रवेश वर्जित कर दिया जाता है। जिसका मनोवैज्ञानिक प्रभाव उनके व्यक्तित्व और सोच पर पड़ता है, वे अपने आप को कमजोर और असुरक्षित महसूस करने लगती है। कई क्षेत्रों में माहवारी से सम्बंधित समस्याओं पर अभी भी खुलकर बात नहीं होती है। माहवारी को लेकर समाज में जो चुप्पी है उसके लिये शिक्षा एवं जागरूकता दोनों स्तरों पर व्यापक कार्य करने की जरूरत है।
सभी को समझाना होगा कि मासिक धर्म, महिलाओं के स्वास्थ्य से संबंधित एक प्रमुख विषय है क्योंकि वे अपने जीवन के तीन हजार से अधिक दिन माहवारी (पीरियड्) में गुजारती हैं इसलिये उन तीन हजार दिनों का अर्थात् उसके जीवन के सात से आठ वर्षो का प्रबंधन ठीक से किया जाना नितांत आवश्यक है। परिवार के सदस्यों के साथ, घर एवं स्कूल में भी इस पर खुलकर बातचीत होनी चाहिए, जिससे माहवारी को लेकर जो झिझक है वह दूर हो सके और इसके लिये रूढिवादी सोच और वर्जनाओं से ऊपर उठना होगा। कोविड -19 के दौरान महिलाओं और किशोरियों को मासिक धर्म के दौरान उपयोग में लाये जाने वाले सेनेटरी प्रोड्क्ट् की कमी का सामना करना पड़ा। अभी भी जो महिला फ्रंटलाइन वर्कर्स हैं अथवा जो पीपीई किट पहन कर कोविड वार्ड में सेवायें प्रदान कर रही हैं उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है इसलिये अब मासिक धर्म को और सहज और सुरक्षित बनाने के लिये प्रोग्राम फोर ए एक्सेप्टेबिलिटी, अवेलेबिलिटी, अफॉर्डेबिलिटी, एक्सेसिबिलिटी पर कार्य करना होगा।