देहरादून। उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने एक विज्ञप्ति जारी कर राज्य सरकार के एनएचएम कर्मचारियों की नौ सूत्रीय मांगों के प्रति उदासीनता को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। प्रीतम सिह ने कहा कि कांगे्रस की सरकार में राष्ट्रªीय स्वास्थ्य मिशन का गठन इसी मंशा से किया गया था कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में की जा रही केन्द्र एवं राज्य सरकारों की घोषणाओं एवं योजनाओं को पंख लग सकें। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के गठन के पीछे मंशा दूरस्थ ग्रामीण अंचलों के वंचित लोगों तक स्वास्थ्य सुविधायें और जानकारियां पहुॅचाना था। प्रदेश कांगे्रस अध्यक्ष ने कहा कि इसे दःुखद और दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जा सकता है कि एनएचएम जो कि स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ है उसे आज सरकार की हठधर्मिता के चलते कार्य बहिष्कार को मजबूर होना पड़ रहा है। प्रीतम सिह ने कहा कि 2018 में जब भारत सरकार के द्वारा बोनस के लेकर स्पष्ट निर्देश दिये जा चुके हैं कि 3 वर्ष का कार्यकाल पूरा करने वाले कर्मियों को 10 प्रतिशत एवं 5 वर्ष पूरा करने वालों को 15 प्रतिशत अनुभव बोनस दिया जायेगा ऐसे में राज्य सरकार किस नियम के तहत भारत सरकार के आदेशों की अवहेलना करते हुए 10 प्रतिशत की जगह पर 4.5 प्रतिशत एवं 15 प्रतिशत की जगह पर 6.75 प्रतिशत अनुभव बोनस देने की बात कह रही है। प्रीतम ंिसह ने कहा कि यह राज्य सरकार का दोहरा चरित्र और दोगलापन ही कहा जा सकता है कि एक तरफ तो पहली लहर में इन कर्मचारियों को फं्रट लाईन वारियर्स का खिताब देकर इन पर फूलों की वर्षा करवाई गई दूसरी तरफ देशवासियों से इनके लिए ताली, थाली, दीया, घंटी बजवाई गई और अब हालात यह हैं कि राज्य सरकार इनकी नौ सूत्रीय मांगों को लेकर बातचीत तक के लिए तैयार नही है। प्रीतम सिंह ने कहा कि एनएचएम कर्मियों के कार्य बहिष्कार से जनता को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है ऐसे में राज्य की स्वास्थ्य सेवायें अवरूद्व ना हों इसलिए राज्य सरकार को चाहिए कि डेडलाॅक को समाप्त करते हुए एनएचएम कर्मियों से बातचीत के जरिये कोई ना कोई सामाधान निकाला जाय।