देहरादून। विभिन्न संस्थानों के शोधकर्ताओं की एक भारतीय टीम ने ‘स्क्रब टाइफस’ के गंभीर मामलों की दवा द्वारा बेहतर इलाज का पता लगाया है। यह ओरिएंटिया सुत्सुगामुशी नामक बैक्टीरिया का जानलेवा संक्रमण है। मुख्य रूप से चूहों का यह संक्रमण ट्रॉम्बिक्युलिड माइट्स के लार्वा से मनुष्यों (जूनोज) में फैलता है। शोधकर्ताओं ने यह देखा कि स्क्रब टायफस के गंभीर मामलों के इलाज में केवल एक दवा से अधिक कारगर ‘एंटीबायोटिक मिला कर’ (दवाओं को मिला कर) उपचार करना है। स्क्रब टाइफस का संक्रमण भारत और अन्य दक्षिण एशियाई देशों में सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा है। यह अनुमान है कि विशेष प्रकोप वाले क्षेत्रों में लगभग एक अरब लोगों पर इस संक्रमण का खतरा है जबकि हर साल दस लाख लोग इससे संक्रमित होते हैं और 1.5 लाख लोग दम तोड़ देते हैं।
स्क्रब टायफस के गंभीर मरीजों के लिए बेहतरीन इलाज का पता लगाने के उद्देश्य से क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज वेल्लोर, तमिलनाडु में संक्रामक रोग चिकित्सक और शोधकर्ता प्रोफेसर जॉर्ज एम वर्गीस और आईएनटीआरईएसटी ट्रॉयल के परीक्षकों ने विभिन्न केंद्रों पर नियंत्रित रैण्डम ट्रॉयल किए। इसके लिए आर्थिक सहयोग डीबीटीध्वेलकम इंडिया एलायंस ने दिया है। शोध परीक्षण से यह सामने आया कि डॉक्सीसाइक्लिन और एजिथ्रोमाइसिन मिला कर उपचार करना इन दो में किसी एक से उपचार की तुलना में अधिक असरदार है।