देहरादून। नेहरू युवा केंद्र देहरादून द्वारा आयोजित एक दिवसीय सेमिनार के अंतर्गत जल संचय हेतु युवाओं के बीच कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें देहरादून जनपद के युवा मंडल और स्वयंसेवकों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम छाला का उद्देश्य वर्षा ऋतु के जल का संचय करते हुए उसको आपदा काल के लिए बचाना था इस विषय पर आज मुख्य वक्ता के रूप में पूर्व संयुक्त निदेशक ग्रामीण विकास विभाग की विजय शंकर शुक्ला ने युवा शक्ति का आह्वान करते हुए कहा कि हम यदि जल का दुरुपयोग रोकते हैं तो यह जल संचय की दिशा में एक बड़ा महत्वपूर्ण कदम होगा। उन्होंने कहा कि भौतिकवादी युग में जहां नलों की संस्कृति के माध्यम से जल घर-घर पहुंचाया जा रहा है, इससे सुविधाएं तो बढ़ी है किंतु पानी का दुरुपयोग भी बड़ा है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हमें मैदानी क्षेत्रों में अपने तालाबों और कुओं को पुनर्जीवित करने के साथ ही पर्वतीय क्षेत्र में जो परंपरागत जल स्रोत हैं।
उनको विस्तार देते हुए साथ में चाल खाल बनाने की ओर युवा अपनी कार्ययोजना बनाए उन्होंने कहा कि आज हम भौतिकवाद के इस युग में जहां पानी पर हमारी निर्भरता बहुत अधिक बढ़ रही है वहीं हमारे यह दायित्व भी बढ़ जाता है कि हमारे ग्रामीण स्तर पर युवा विशेषकर ग्राम पंचायतों के माध्यम से इस कार्यक्रम को प्रमुखता से उठाए। उनका कहना था कि जल संचय और जल संग्रह दोनों विषय आज की आवश्यकता ही नहीं बल्कि यह भविष्य के लिए भी चेतावनी है। इस तरह से उन्होंने युवाओं से कहा कि हम नेहरू युवक केंद्र के कार्यकर्ता ग्रामीण स्तर पर ग्राम वासियों के माध्यम से कार्य योजनाएं बनाएं और साथी जो ग्राम योजनाएं बनती हैं उनमें जल संचय को प्रमुखता से शामिल करें, साथ ही उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे इस अभियान को जन जागरूकता का हिस्सा बना कर जन-जन तक पहुंचाने में भी काम करें। कार्यशाला में दूसरे वक्ता के रूप में पूर्व जिला समन्वयक डॉ योगेश धस्माना ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्र में धारे नौली की संस्कृति को बचाने की आवश्यकता है प्उन्होंने कहा कि 18वीं सदी से हमारे पर्वतीय क्षेत्र में और विशेषकर दुर्गम क्षेत्रों में जो धारे नौली थे वह हमारी सामाजिक जीवन और संस्कृति के भी अंग रहे हैं प् 18 वीं सदी से पर्वतीय क्षेत्र में उनको जल पहुंचाते रहे लेकिन आज विशाल बांध परियोजनाओं और जल स्रोतों के सूखने के चलते आज यह सब समाप्त हो रही है। डॉक्टर योगेश धस्माना ने कहा कि हम लोगों को ग्रामीण स्तर पर युवा संगठनों के माध्यम से अपने धारे नॉले और चाल खाल का विस्तार करते हुए इन्हें जल स्रोत का मुख्य केंद्र बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम लोगों ने पारंपरिक संस्कृति में जहां नदी के नजदीक भवन बनाने को प्रतिबंधित किया था, जो हमारे पारंपरिक जल स्रोत हैं उनके आसपास वृक्षारोपण करें। इस अवसर पर जिला समन्वयक मुन्नी टोलिया ने कहा कि आज हम इस अभियान को प्रधानमंत्री कार्यक्रम और मिशन के अंतर्गत संचालित कर रहे हैं और उन्होंने आशा व्यक्त की कि आने वाले समय में हमारे युवा अगले 1 वर्ष की कार्ययोजना बनाकर अपने ग्राम विकास के कार्य योजना में इसको सम्मिलित करें और अपने दायित्व का निर्वहन करें। इस अवसर पर प्रवेश सिंह, सुमन सिंह रावत, अनेक युवा स्वयंसेवी और युवा मंडलों के सदस्य कार्यक्रम में उपस्थित थे।