देहरादून। डीआईटी विवि में आज विश्व पर्यावरण दिवस का सफल आयोजन वर्चुअल माध्यम से किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत सरस्वती वंदना व विवि के कुलगीत से हुई। स्वागत अभिभाषण में विवि के कुलाधिपति एनरवि शंकर ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण का परिणाम है कि हमें ऑक्सीजन सिलेंडर की आवश्यकता नहीं पड़ेगी और वृक्ष हमें प्रकृतिक आक्सीजन प्रदान करेंगे। उपकुलपति डा एम श्रीनिवासन ने बताया कि इवोल्यूशन एक स्लो प्रॉसेस है और अगर हम सतत विकास और क्रांति को एक साथ जोड़ देंगे तो विश्व में विकास की गति को नया मोड़ मिलेगा। हम प्राकृति संसाधनों का अधिक से अधिक प्रयोग करेंगे। मुख्य अतिथि सोशल वेस्ट मैनेजमेंट नोडल ऑफिसर रवि पांडेय ने बताया कि 1974 में पहला विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया था जिसमें यूएन ने इको सिस्टम रिस्टोरेशन को मुख्य आयाम दिया था। उन्होंने हमें एवं अतिथियों को इपीआर और ओडीएफ की विशेषता के महत्व को समझाया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार उत्तराखण्ड में सॉलिड व लीक्विड वेस्ट का निस्तारण किया जाता है। पांडेय जी ने अमृत योजना के बारे में भी विस्तार से चर्चा की। कीनोट स्पीकर डा भारत भूषण नागर ने बताया कि डमप साइड से बड़े शहरों में पर्यावरण को किस प्रकार नुकसान पहुंच रहा है। डॉ. नागर ने बायोमाइनिंग पर विस्तार से चर्चा की और बताया कि हम सॉलिड वेस्ट का निस्तारण कैसे कर सकते है। सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट एक्सपर्ट पूजा मिश्रा ने बताया कि पर्यावरण और मानव जाति दोनों की ग्रोथ पर हमें ध्यान देना होगा। सेंटर ऑफ एक्सीलेंट लॉ के एक्सपर्ट डा नवीन सिंघल ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण में ही महामारियेां का इलाज संभव है। धन्यवाद प्रस्ताव डा तरूमय घोषाल ने प्रस्तुत किया। डॉ. आरति चतुर्वेदी, डा जवरिंदर सिंह, डॉ. कविता, डा रवि शुक्ला, डॉ. मनीषा आदि मुख्य रूप से उपास्थित थे।