-बैठक में अनुपस्थित रहे अधिकारियों से मांगा स्पष्टीकरण
देहरादून। जिलाधिकारी डाॅ आशीष कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में श्रम विभाग की जिला स्तरीय टास्कफोर्स समिति की वीडियोकान्फ्रेसिंग के माध्यम से बैठक आयोजित की गई। जिलाधिकारी ने श्रम विभाग और टास्कफोर्स समिति के द्वारा विगत बैठक में भिक्षावृत्ति, बालश्रम, कूड़ा बिनने, नशाखोरी, इत्यादि में संलिप्त बच्चों की टैªकिंग, आईडेंटिफिकेशन, शिक्षा, पुनर्वास और इसके लिए जिम्मेदार व्यक्ति पर यथोचित कार्यवाही करने में की गई लापरवाही के चलते गहरी नाराजगी जाहिर करते हुए श्रम विभाग और टास्कफोर्स समिति के सदस्यों को सख्त चेतावनी दी कि सभी लोग अपनी कार्यप्रणाली में तत्काल सुधार लायें और बच्चों के कल्याण से सम्बन्धित कार्य में आगे से किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने देहरादून के सहायक श्रमायुक्त और शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा बैठक में अनुपस्थित रहने तथा पूर्व में दिए गए निर्देशों पर लक्षित कार्यवाही ना करने के चलते स्पष्टीकरण प्राप्त करने को कहा। जिलाधिकारी ने पूर्व में निर्देश दिये थे कि जो बच्चे कूड़ा बिनने, भिक्षावृत्ति करने, नशाखोरी और बालश्रम में संलिप्त पाये जाते हैं उनको ठीक तरह से आईडेंटिफाई करते हुए आवश्यकतानुसार सम्बन्धित विभाग उनकी चिकित्सा, शिक्षा, स्वरोजगार स्किल्ड में लक्षित कार्यवाही करेंगे तथा बच्चों से भिक्षावृत्ति करवाने तथा बाल श्रम करवाने वालों के विरूद्ध अभियोग पंजीकृत करते हुए कार्यवाही करेगें, जिस पर समिति द्वारा अपेक्षित कार्यवाही नही की गई।
जिलाधिकारी ने उक्त के सम्बन्ध में कमेटी को पुनः निर्देश दिए कि पूर्व में दिये गये निर्देशों पर एक सप्ताह के भीतर कार्यवाही पूर्ण करते हुए कृत कार्यवाही से उन्हें अवगत करायें। उन्होंने कहा कि आगे से ध्यान रखें कि जो बच्चे भिक्षावृत्ति, कूड़ा बिनने, नशाखोरी, बालश्रम में सलंग्न पाये जाते हैं, उनकी पहचान करते हुए आवश्यकतानुसार उनकी शिक्षा, कांउसिलिंग, स्किल्ड, मेडिकल (कोविड-टैस्ट), पुनर्वास इत्यादि किया जाय। साथ ही इन बच्चों से बालश्रम व भिक्षावृत्ति करवाने वालों पर सख्त कार्यवाही की जाय। उन्होंने श्रम विभाग को अन्य सम्बन्धित विभागों और गैर सरकारी संस्थाओं से कार्यवाही कराने हेतु लगातार पहल करते रहने को कहा।
जिलाधिकारी ने गोद में छोटा बच्चा लिए भिक्षावृत्ति करती पाई जाने वाली महिलाओं और उसके बच्चे का सत्यापन करवाने के पुलिस को निर्देश दिए। सत्यापन करने में उन्होंने वैधानिक सलाहकारों से समन्वय करते हुए माॅ-बच्चे का यथासंभव डीएनए भी करने को कहा जिससे ये पता चले कि बच्चा उसी महिला का है कि नहीं, अगर वह बच्चा उस महिला का नही पाया जाता तो सम्बन्धित महिला पर अभियोग दर्ज करते हुए जेल भेजा जाय और बच्चे को शिशु बाल सदन में रखा जाय। साथ ही शहर में किसी भी प्रकार की भिक्षावृत्ति पर अंकुश लगाया जाय। उन्होंने भिक्षावृत्ति और कूड़ा बिनने वाले बच्चों पर रोकथाम लगाने हेतु उनका ठीक तरह से सत्यापन और पहचान सुनिश्चित करने हेतु गैर सरकारी संगठन और सिविल सोसाईटी के उपस्थित सदस्यों को भी इस तरह के बच्चों की एक सूची तैयार करते हुए कमेटी को कार्यवाही करने हेतु सुपुर्द करने को कहा।
जिलाधिकारी ने कोविड-19 के दौरान अनाथ व बेसहारा हुए बच्चों को बाल तस्करी अथवा किसी भी प्रकार के शोषण से बचाने के लिए पुलिस अधीक्षक यातायात को निर्देशित किया कि जिला प्रोबेशन अधिकारी से ऐसे बच्चों की सूची प्राप्त करते हुए प्रत्येक सप्ताह बीट स्तर के कांस्टेबल को ऐसे बच्चों के रहने वाले स्थान-आवास का विजिट करें, ताकि विजिट में ये सुनिश्चित किया जा सके कि ये बच्चे ठीक हालत में हैं तथा इनके साथ किसी भी प्रकार का कोई अत्याचारध्दुव्र्यहार नही हो रहा है। उन्होंने कहा कि यदि ऐसा लगता है कि किसी बच्चे के साथ सम्बन्धित अभिभावकध्निकट सम्बन्धी ठीक से व्यवहार नहीं करता अथवा बच्चों को किसी भी तरह से मानसिक, शारीरिक प्रताड़ित हो रहा है तो उसकी सूचना तत्काल जिला प्रोबेशन अधिकारी को दें ताकि ऐसे बच्चों को तत्काल शिशुध्बाल सदन अथवा बाल पुनर्वास केन्द्रों पर रखा जा सके, जहां उनकी शिक्षा, चिकित्सा, काउंसिलिंग इत्यादि की व्यवस्था की जाती हैं साथ ही उन्होंने चिकित्सा विभाग को भी निर्देशित किया कि ऐसे बच्चों का तत्काल कोविड टैस्ट अथवा आवश्यकतानुसार मेडिकल-चिकित्सा करवायें। इस दौरान बैठक में पुलिस अधीक्षक यातायात एस.के सिंह, सहायक श्रमायुक्त ऋषिकेश के.के गुप्ता, क्षेत्राधिकारी हरेन्द्र पंत, जिला प्रोबेशन अधिकारी मीना बिष्ट, जिला समाज कल्याण अधिकारी हेमलता पाण्डेय, डाॅ संजीव दत्त सहित बाल बचाओ आन्दोलन, जिला बाल कल्याण समिति तथा गैर सरकारी संगठनों के सदस्य बैठक में उपस्थित थे।