अफगानिस्तान की खबर है, जहाँ एक स्त्री को केवल इसलिए मार दिया गया क्योंकि उसने बुर्का नहीं पहना था। वहाँ से रोज ही ऐसी खबरें और तस्वीरें आ रही हैं। पढ़ी लिखी कामयाब स्त्री, अपनी प्रतिभा के बल पर उच्च स्थान प्राप्त करने वाली आधुनिक स्त्री, ऐसी स्त्रियां छोटे छोटे कारणों से क्रूरता पूर्वक मार दी जाती हैं। इन स्त्रियों की कोई सहायता नहीं करता, कोई उन्हें बचाने नहीं आता। जो आता है, पत्थर मारने ही आता है… पाकिस्तान और अफगानिस्तान में लड़कियों की यही दशा है। वहाँ स्त्रियां यूँ ही मारी जाती हैं।
अब तनिक इतिहास में चलते हैं। द्वापर युग में उसी धरती के एक षड्यंत्रकारी शासक ने कुरु राजवंश में फूट डाली और हस्तिनापुर के भरे दरबार में एक स्त्री को अपमानित करने का प्रयास किया । उस स्त्री के पति दास बनाये जा चुके थे और उसका सम्मान करने वाले प्रियजन भी चुपचाप देखने को विवश थे।
उस निरीह स्त्री के पास कोई अवलम्ब नहीं था। पर उसके पास एक वस्तु थी। उसके पास एक मित्र था, एक धर्म का भाई था जिसपर उसे विश्वास था कि वह उसकी सहायता करेगा। तब भारत के सबसे बड़े राजदरबार में आततायियों के बीच खड़ी उस असहाय स्त्री ने बस एक आवाज दी अपने उस भाई को, और… और उस युग का महानायक, इस सृष्टि का एकमात्र क्रांतिकारी, हर निर्बल का बल वह ग्वाले का बेटा क्षण भर में ही पहुँच गया अपनी सखी के पास! और फिर, फिर उस स्त्री को किसी और की सहायता की आवश्यकता ही नहीं रही। सारे आततायी मिल कर भी उसका अहित नहीं कर सके… यह भगवान श्रीकृष्ण की शक्ति थी।
उस महानायक ने उस स्त्री के हर अपराधी को दण्ड दिया। ऐसा दण्ड, कि वह युग-युगांतर के लिए आदर्श हो गया। उस एक स्त्री के अपमान के कारण इस संसार का सबसे बड़ा युद्ध हुआ और हर अपराधी का उसके समूचे कुल के साथ नाश हो गया। यह कृष्ण का न्याय था।
अफगानिस्तान की मासूम बेटियों! तुम्हारा दुर्भाग्य यह नहीं कि तुम आततायियों के बीच जन्मी हो, तुम्हारा दुर्भाग्य यह है कि तुम्हारे देश की परम्परा में कृष्ण नहीं हैं। और यही कारण है कि तुम्हारी संस्कृति के बुद्धिजीवी भी तुम्हारी हत्या पर दुखी नहीं हैं, बल्कि यह सोच कर खुश हैं कि उनके सिपाहियों ने एक देश पर कब्जा कर लिया। उसके शायर, उसके अदीब हजार स्त्रियों की हत्या से भी दुखी नहीं होंगे क्योंकि उन्होंने स्त्री को भेड़-बकरी से अधिक समझा ही नहीं। तुम्हारा दुर्भाग्य तुम्हारी संस्कृति का दुर्भाग्य है लड़कियों…
सर्वेश तिवारी श्रीमुख
गोपालगंज, बिहार।