वाशिंगटन। भाजपा के वरिष्ठ नेता राम माधव ने कहा है कि हिंदुत्व एक खुला, बहुलवादी विचार है जो हिंदू सभ्यता के प्राचीन ज्ञान पर आधारित है। राम माधव ने यह टिप्पणी अपनी हाल में प्रकाशित पुस्तक द हिंदुत्व पैराडिम इंटेग्रल ह्यूमनिज्म एंड द क्वेस्ट फार ए नान वेस्टर्न वर्ल्डव्यू पर आयोजित कार्यक्रमों को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने शनिवार को दक्षिणी कैलिफोर्निया के इरविन शहर में और रविवार को सैन फ्रांसिस्को में पुस्तक के बारे में बात की। दोनों कार्यक्रमों की मेजबानी इंडिकडायलाग ने की थी।
राम माधव ने पुस्तक के मुख्य बिंदुओं का उल्लेख किया और कहा कि हिंदुत्व एक खुला और बहुलवादी विचार है जो हिंदू सभ्यता के प्राचीन ज्ञान पर आधारित है। उन्होंने कहा कि पुस्तक हिंदुत्व की धारणा पर प्रकाश डालती है और भाजपा के विचारक विचारक पंडित दीनदयाल उपाध्याय के श्एकात्म मानववादश् के विचार को विस्तार से बताती है। माधव के अनुसार यह पुस्तक श्एकात्म मानववाद की इक्कीसवीं सदी की व्याख्या देने का एक विनम्र प्रयास है।
राम माधव ने कहा कि आज हिन्दुत्व भारत के जीवन की मुख्यधारा बन गई है। देश के केंद्र में हिंदुत्व का विचार है। आज से दस पंद्रह साल पहले सेक्युलरवादी या उदारवादी विचारधारा इस देश की मुख्यधारा के प्रतीक माने जाते थे। तब बहस सेक्युलरिज्म बनाम हिंदुत्व की होती थी। राजनीतिक दृष्टि से आज हिंदुत्व के विचार से जुड़े लोग देश में मुख्य पदों पर बैठे हैं पर सामाजिक स्तर पर भी इस विचार की स्वीकृति बढ़ी है। देश के लोग हिंदुत्व के विचार को गहराई से समझना चाहते हैं। इसलिए लोगों की इच्छा है कि वो सावरकर के बारे में, दीनदयाल जी के बारे में अधिक से अधिक जानें। राम माधव के मुताबिक, हिंदुत्व और हिंदुइज्म में कोई अंतर नहीं है। ये बेवजह का विवाद है। हिंदुत्व, हिंदुइज्म, हिंदू या हिंदू धर्म सब एक ही बात है। हिंदू कभी इज्म (वाद) हो ही नहीं सकता क्योंकि इज्म या वाद एक बंद विचारधारा होती है, एक बंधा हुआ विचार जो एक निश्चित ढांचे में होता है। हिंदू बंधा हुआ विचार नहीं है। ये बहुत खुला, उदार और समावेशी विचार है। अगर अंग्रेजी में हिंदुत्व का कोई समांतर शब्द ढूंढा जाए तो वो हिंदूनेस हो सकता है। पर ये प्रचलन में नहीं है।