नई दिल्ली। नोटबंदी ने आवासीय संपत्तियों के बाजार से कालाधन का लगभग सफाया कर दिया है। हाउसिंग ब्रोकरेज कंपनी एनाराक ने बुधवार को कहा कि नवंबर, 2016 में नोटबंदी के बाद आवासीय संपत्तियों की खरीद-फरोख्त में नकद लेनदेन 80 प्रतिशत तक गिर गया है। केंद्र सरकार ने पांच वर्ष पहले नोटबंदी के तहत 1,000 रुपये और 500 रुपये सभी पुराने नोटों को चलन से बाहर कर दिया था।
एनाराक के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा कि नकद लेनदेन घटने के बावजूद भारतीय हाउसिंग सेक्टर से नकदी के चलन को पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सका है। हालांकि इतना जरूर हुआ है कि अब अधिकतर लोग कालाधन खपाने के लिए नहीं, बल्कि खुद रहने के लिए घर खरीद रहे हैं। हालांकि छोटे शहरों एवं कस्बों में अब भी कालाधन का उपयोग प्रापर्टी की खरीद-फरोख्त में हो रहा है। लेकिन उसकी मात्रा और संख्या में कमी आई है। एनाराक ने बुधवार को एक बयान में कहा कि आवासीय बाजार में नकद लेनदेन नवंबर, 2016 में नोटबंदी होने के बाद से करीब 75-80 प्रतिशत तक कम हो चुका है। यह आंकड़ा देश के सात बड़े शहरों में काम कर रहे डेवलपरों के साथ हुई चर्चा पर आधारित है। डेवलपरों से बातचीत के अलावा एनाराक ने बैंकों के कर्ज वितरण आंकड़ों, प्रापर्टी के पंजीकरण से जुड़े दस्तावेज की समीक्षा और खुद के करीब 1,500 बिक्री एजेंटों से मिली प्रतिक्रिया के आधार पर यह नतीजा निकाला है। ब्रोकरेज कंपनी का कहना है कि पिछले कुछ वषरें में होम लोन का औसत आकार बढ़ा है। आवासीय परिसंपत्तियों की खरीद में नकद लेनदेन घटने का यह आंकड़ा डेवलपरों द्वारा पहली बार बेचे गए घरों पर आधारित है। इसमें दोबारा बिक रही प्रापर्टी से जुड़े आंकड़े शामिल नहीं हैं।