देहरादून। इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स लिमिटेड (आईआईएल), एक प्रमुख वैक्सीन निर्माता, ने विश्व ज़ूनोसिस दिवस 2022 के अवसर पर ज़ूनोटिक रोगों के खिलाफ एक राष्ट्रव्यापी मुफ्त टीकाकरण शिविर का आयोजन किया। जानवरों से मनुष्यों में संचारित होने वाले रोगों को ज़ूनोटिक रोग कहा जाता है। किसी ज़ूनोटिक बीमारी के खिलाफ पहले टीकाकरण के सम्मान में प्रतिवर्ष जुलाई महीनें में विश्व ज़ूनोसिस दिवस मनाया जाता है। ज़ूनोटिक रोगों के बारे में लोगों को शिक्षित करने तथा जागरूकता बढ़ाने में इसका खास महत्व है। हर साल समाज को बड़े पैमाने पर टीकाकरण की यह उदार सेवा उपलब्ध कराने में आईआईएल गर्व महसूस करता है। इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स ने श्वन हेल्थश्, अपने उन्नत स्वास्थ्य-रक्षा उत्पादों के ज़रिए मनुष्यों और जानवरों के लिए इष्टतम स्वास्थ्य हासिल करने की दिशा में एक सहयोगात्मक प्रयास, के अपने सपने को साकार करने के प्रयास में, रक्षारैब और स्टारवैक आर (आईआईएल के रेबीज़-विरोधी टीके) की 1 लाख खुराकें मुफ्त में लगाईं। स्टेट ऑफ़ द वर्ल्ड फॉरेस्ट्स 2022 की एक हालिया रिपोर्ट में भारत की ज़ूनोटिक वायरल रोगों के संभावित हॉटस्पॉट के रूप में भविष्यवाणी की गई है।
सभी उभरती हुई बीमारियों जैसे रेबीज़, स्वाइन फ्लू, निपाह, ब्रुसेलोसिस, लेप्टोस्पायरोसिस, पोर्सिन सिस्टीसर्काेसिस, जीका, आदि में से 70 प्रतिशत जो मनुष्यों को प्रभावित करती हैं, प्रकृति में ज़ूनोटिक हैं। ऐसे ज़ूनोटिक वायरस के प्रसार के खिलाफ आईआईएल की लड़ाई में, इनके टीकाकरण शिविर को पशु चिकित्सा औषधालयों, पशु चिकित्सा महाविद्यालयों और गैर सरकारी संगठनों के माध्यम से 100 शहरों तक बढ़ाया गया। रेबीज़ जैसे ज़ूनोटिक रोगों ने प्राचीन काल से ही मानव स्वास्थ्य को खतरे में डाला हुआ है। रेबीज़ से होने वाली मानव मौतों में अधिकांश का स्रोत कुत्ते होते हैं, जिनका मनुष्यों को होने वाले सभी रेबीज़ संचरण में 99ः तक योगदान रहता है। भारत रेबीज़ के लिए एक स्थानिक देश है, जिसकी दुनिया में रेबीज़ से होने वाली कुल मौतों में 36 फीसदी की भागीदारी रहती है। रेबीज़ का असल बोझ पूरी तरह से ज्ञात नहीं है, हालांकि उपलब्ध जानकारी के अनुसार यह हर साल 18000-20000 मौतों का कारण बनता है। उचित पोस्ट-एक्सपोज़र (संपर्क में आने पर) टीकाकरण के बारे में जागरूकता की कमी के कारण, रेबीज़ ग्रामीण क्षेत्रों के अधिकांश वयस्क पुरुषों तथा बच्चों को प्रभावित कर रहा है। कई देश कुत्तों के टीकाकरण के माध्यम से रेबीज़ से होने वाली मानव मौतों की संख्या को कम करने में सक्षम हैं। जागरूकता, सटीक निदान, स्वच्छता की स्थिति में सुधार, रोग-निरोधी टीकाकरण ये सभी उपाय हैं, जिन्हें इस रोग को फैलने से रोकने/उन्मूलन करने के लिए काम में लाए जाने की आवश्यकता है।