टिहरी। टिहरी जिले की अधिकांश तहसीलों में लंबे समय से प्रशासनिक अधिकारियों का टोटा बना हुआ है। जिले में संचालित 12 तहसील और दो उप तहसीलों में केवल तीन में ही नियमित तहसीलदार हैं। बाकी तहसीलें प्रभारी तहसीलदारों के भरोसे चल रही है। नायब तहसीलदारों के भी 17 पद सृजित हैं, लेकिन आठ ही कार्यरत हैं। जबकि राज्य बनने के बाद सरकार ने तहसीलों की संख्या तो दोगुना कर दी लेकिन सात तहसीलों में एसडीएम के पदों का सृजन नहीं किया। अधिकारियों की कमी के चलते लोगों के प्रमाणपत्र से लेकर अन्य कार्य प्रभावित हो रहे हैं।
सरकार की योजनाओं, समस्याओं के निराकरण, आय, जाति, मूल, स्थायी, राजस्व, भूमि संबंधी कार्य, विभिन्न जांचों से लेकर अन्य कार्यों के निपटारे के लिए तहसीलों में एसडीएम, तहसीलदार की मुख्य भूमिका होती है, लेकिन जिले की अधिकांश तहसीलों में दोनों महत्वपूर्ण पदों पर अधिकारियों की कमी बनी हुई है। जिले की 12 तहसील, दो उप तहसील में से केवल टिहरी, गजा और नैनबाग में स्थायी तहसीलदार हैं।
नायब तहसीलदार के 17 पद सृजित हैं, लेकिन केवल नौ तहसीलों में ही नायब तहसीलदार हैं। अन्य तहसीलों में रजिस्ट्रार कानूनगो ही अपने कार्यों के साथ ही नायब और तहसीलदार की जिम्मेदारी देख रहे हैं। पूरे जिले में केवल छह एसडीएम ही 12 तहसील समेत विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी की जिम्मेदारी देख रहे हैं। लोगों को जरूरी प्रमाणपत्र, दाखिला खारिज, राजस्व वादों का निपटारा नहीं हो रहा है। राज्य गठन के बाद जिले में तहसीलों की संख्या छह से बढ़कर 12 हुई, लेकिन इनमें उपजिलाधिकारियों के पदों का सृजन नहीं हुआ है। गजा, बालगंगा, कंडीसौड़, धनोल्टी, नैनबाग, जाखणीधार, देवप्रयाग तहसीलें तो सरकार ने बनाई, लेकिन इनमें उपजिलाधिकारियों के पद सृजित नहीं किए हैं। अभी तक केवल पांच एसडीएम और एक विशेष भूमि अध्यापित अधिकारी का पद सृजित हैं।