विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा के जिला मीडिया प्रभारी प्रवीण शर्मा पिन्नी ने कहा कि जनपद देहरादून के डाकपत्थर बैराज (हेड रेगुलेटर पुल) की सुरक्षा व्यवस्था के मामले में तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 29/11/1989 में उक्त क्षेत्र को अति संवेदनशील/प्रतिसिद्ध घोषित किया गया था तथा उसके क्रम में कई वर्षों तक दिन-रात पुलिस पिकेट तैनात रहती थी तथा उस पर आवाजाही लगभग प्रतिबंधित थी। यहां तक कि मोटर कार, बस, ट्रक इत्यादि का नंबर, आवागमन का समय तक का हिसाब पुलिस द्वारा रखा जाता था,लेकिन विगत कुछ वर्षों से खनन माफियाओं, नेताओं एवं अधिकारियों की सांठगांठ के चलते वहां से पुलिस पिकेट हटा ली गई।
पुलिस के उच्चाधिकारियों की सांठगांठ के चलते इस मामले में शासन तक को गुमराह किया गया। शर्मा ने कहा कि इस मामले को लेकर मोर्चा द्वारा सूचना आयोग में दस्तक दी गई, जिस पर गंभीरतापूर्वक संज्ञान लेते हुए सूचना आयुक्त विपिन चंद्र ने शासन को निर्देश जारी किए कि किसके निर्देश पर सुरक्षा व्यवस्था हटाई गई तथा उत्तर प्रदेश सरकार के नोटिफिकेशन के बाद अगर उत्तराखंड शासन द्वारा कोई समीक्षा/ नोटिफिकेशन कर सुरक्षा व्यवस्था हटाने के निर्देश दिए गए हैं तो उस पर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करें एवं सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करें तथा एसएसपी देहरादून से पूरे मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है एवं साथ-साथ बैराज की सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता करने के निर्देश दिए गए हैं। बैराज की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी लगभग 3 वर्षों से संघर्षरत हैं। हैरानी की बात यह है कि किसी अधिसूचित अति संवेदनशील क्षेत्र को बिना शासन की अनुमति के कैसे सुरक्षा विहीन किया जा सकता है। बैराज की सुरक्षा व उसकी संवेदनशीलता के मामले में अभिसूचना विभाग तथा पुलिस खुद उक्त क्षेत्र को अति संवेदनशील मान चुका है, लेकिन यूजेवीएनएल-नेता- पुलिस की तगड़ी ने बैराज की सुरक्षा मामले में रोड़े अटकाये। शर्मा ने कहा कि हजारों करोड की परियोजना को अब खनन माफियाओं के हाथों बर्बाद होने से बचाया जा सकेगा।