देहरादून। व्यापारी दीपक गुप्ता के आफिस में दून उघोग व्यापार मण्डल के वरिष्ठ पदाधिकारियों की एक महत्वपूर्ण बैठक आहुत हुई जिसमें सर्वसम्मति से यह तय हुआ कि हम जीएसटी सर्वे छापे होने नहीं देंगे और अगर इनको नहीं रोका गया तो प्रदेश भर में विरोध प्रदर्शन कर इस आंदोलन को उग्र रूप दिया जाएगा और अगर बंद का आह्वान भी करना पड़ा तो देहरादून के साथ-साथ प्रदेश भर को भी बंद किया जाएगा। पूरे प्रदेश में सभी जगह व्यापारी लामबन्द हो गया है तथा जीएसटी के विरोध में प्रदर्शन, पुतला दहन आदि हो रहे हैं। साथ ही इन सर्वे छापों में देखने में आ रहा है कि यदि एक व्यापारी गलत है तो 10 पिस रहै हैं। व्यापारियों का कहना है कि जिस व्यापारी पर शक है तो पहले उसे नोटिस दें तसल्ली ना हो तो दूकान पर जाएं फिर गलत जो है उस पर पर कार्यवाही करें।
बैठक के दौरान् प्रान्तीय उघोग व्यापार मण्डल के चेयरमैन व दून उघोग व्यापार मण्डल के संरक्षक अनिल गोयल ने सुझाव देते हुए कहा कि जीएसटी अधिकारी व्यापारियों के साथ पहले मीटिंग कर लें, हमारी समस्याओं को समझें व हमारे प्रदेश की भौगोलिक स्थिति को भी समझने की कोशिश करें जिससे कि उन्हें सही स्थिति के बारे में जानकारी प्राप्त हो। दून उघोग व्यापार मण्डल के अध्यक्ष विपिन नागलिया ने कहा कि जब प्रदेश बना तो इस टैक्स की राशि कुल 500-600 करोड़ थी जबकि व्यापारियों की मेहनत से 6000-7000 करोड़ हो गई है और तो और यह राशि लगातार बढ़ भी रही है जोकि लगभग 8000 करोड़ तक पहूँच गई है। उन्होंने कहा कि हमारे इस छोटे से प्रदेश में जिसमें, अधिकतर पहाड़ी क्षेत्र हैं, छोटे-छोटे व्यापारी हैं इतना राजस्व का संग्रह आने के बाद भी सरकार संतुष्ट नहीं है। कोरोना की वजह से व्यापारी पहले ही टूट चूका है और व्यापार में पहले जैसी स्थिति नहीं है। दून उद्योग व्यापार मण्डल के कार्यकारी अध्यक्ष सिद्धार्थ उमेश अग्रवाल ने कहा कि हमारे प्रदेश में ज्यादातर माल दूसरे प्रदेशों से आयात किया जाता है तो उस माल पर केन्द्र का टैक्स जीएसटी लगता हैं जो केंद्र के खाते मे जाता है। दूसरे प्रदेश से आयात करने पर जीएसटी का इनपुट तो व्यापारी लेगा ही यह भी एक बड़ी वजह है दूसरे प्रदेशौं से आयातित मॉल पर सरकार को ज्यादा ळैज् नहीं मिलता सिर्फ जो व्यापारी का मुनाफा है उसी पर जीएसटी मिलता है। दून उघोग व्यापार मण्डल के महासचिव सुनील मैसोन ने बताया कि संज्ञान में यह भी आया है कि जीएसटी क्षतिपूर्ति के लिए केन्द्र सरकार से हमारे प्रदेश को लगभग 5000 करेड़ रूपये प्रतिवर्ष मिलता था जो अब बंद होने जा रहा है। इसलिए व्यापारियों पर दवाब बनाया जा रहा है। बैठक के अंत में सर्वसम्मति से यह निर्णय हआ कि वित्तमंत्री उत्तराखण्ड प्रेमचंद अग्रवाल से समय लेकर उत्तफ संबंध में वार्त्ता की जाएगी यदि उसके बाद भी कोई समाधान नहीं होता है तो प्रदेश व्यापार मंडल के आदेश पर उग्र आन्दोलन किया जाएगा।