देहरादून। किसानों की आय दोगुनी करने के लिए किसान प्रथम परियोजना के मॉड्यूल के अंतर्गत, भारतीय मृदा और जल संरक्षण संस्थान, देहरादून ने रायपुर प्रखंड, देहरादून के 28 प्रगतिशील किसानों के लिए एक प्रक्षेत्र प्रशिक्षण आयोजित किया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में किसान प्रतिभागियों को डेयरी, ग्रामीण मुर्गी पालन, बकरी पालन और मछली पालन की विभिन्न अवधारणाओं और प्रबंधन तकनीकों से अवगत कराया गया। इस खेती से संबंधित आवश्यक तकनीको का प्रदर्शन डोईवाला, देहरादून के ललित सिंह बिष्ट के फार्म पर किया गया जो आईआईएसडब्ल्यूसी द्वारा प्रशिक्षित प्रगतिशील किसानों में से एक हैं।
आईआईएसडब्ल्यूसी के प्रधान वैज्ञानिक एवं किसान प्रथम प्ररियोजना के अन्वेषक डॉ बांके बिहारी ने किसान प्रतिभागियों का स्वागत किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पशुधन आधारित उद्यमों में सुनिश्चित आजीविका की अपार संभावनाएं हैं और यह कार्यक्रम क्षेत्र में ऐसे उद्यम स्थापित करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करेगा। आईआईएसडब्ल्यूसी के प्रधान वैज्ञानिक और इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के समन्वयक डॉ एम मुरुगानंदम ने आजीविका और कृषि-स्तरीय खाद्य-सुरक्षा के लिए एकीकृत खेती इकाइयों से संबंधित अनुसंधान परिणामों और प्रक्षेत्र अनुभवों को साझा किया।
ललितसिंह बिष्ट जो एक होटल प्रबंधन स्नातक से प्रगतिशील किसान बन गए, और जिन्होंने आईआईएसडब्ल्यूसी देहरादून के प्रशिक्षण कार्यक्रम में डॉ एम मुरुगनंदम के मार्गदर्शन और प्रेरणा से इस क्षेत्र में सफलता प्राप्त की है, ने सभी को बताया कि वह कुक्कुट पक्षियों, बकरी और गाय के दूध के अलावा, मछली के बीज, टेबल के आकार की मछलियां-पंगेसियस, तिलपिया का भी उत्पादन करते हैं। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि उनके ज्यादातर उत्पाद उनके फार्म पर ही बिक जाते हैं। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम किसानों को उनके निवास-स्थानों पर ही छोटे पैमाने के उद्यमों को ग्रामीण उद्यमिता और आजीविका के स्रोत के रूप में बढ़ावा देने पर केंद्रित था। इस प्रशिक्षण के दौरान किसानो के साथ संवाद और विचार-विमर्श में इस कार्य के लिए आवश्यक उपादानों जैसे बीज, चूजे, चारा, पशु दवाएं, विशेषज्ञ ज्ञान, और उपलब्ध साधनों के अतिरिक्त विपणन की रणनीतियों पर भी चर्चा की गई। इस दौरान राज्य मत्स्य पालन विभाग, पशु पालन विभाग और नाबार्ड के विभिन्न कार्यक्रमों और योजनाओं के बारे में भी जानकारी दी गई।
कार्यक्रम समन्वयक टीम (डॉ मुरुगनंदम, डॉ बांके बिहारी, श्री केआर जोशी, वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी और श्री अनिल मलिक, परियोजना कर्मचारी, आईआईएसडब्ल्यूसी, देहरादून) ने चर्चा के दौरान विषय से संबंधित किसानों के सीखने के स्तर का मूल्यांकन किया और पाया कि किसानो का यह प्रक्षेत्र प्रशिक्षण अत्यंत लाभदायक रहा और किसान अपनी आय दोगुनी करने के लिए उद्यमशील एकीकृत कृषि इकाइयां स्थापित करने के लिए आश्वस्त हैं।