देहरादून। उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकार वार्ता कर मुख्य प्रवक्ता गरिमा माहरा दसौनी ने गंभीर प्रकरण का खुलासा किया। उन्होंने देहरादून के विकासनगर इलाके में बड़े स्तर पर चल रही मशीनों की धांधली को पर्दाफाश किया। उन्होंने धामी राज में अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों पर शोषण के गंभीर आरोप लगाए। दसौनी ने कहा कि गरीब अनुसूचित जाति के व्यक्तियों की भूमि को संरक्षण प्रदान करने के लिए सरकार द्वारा एक कानून बनाया गया ताकि गरीब अनु० जाति के व्यक्तियों की जमीन बची रहे, परंतु सरकार द्वारा कानून में व्यवस्था की गयी थी कि अनु० जाति के लोग जो बडे कृषक है जिनके पास यदि तीन एकड़ से ज्यादा भूमि है तो वह लोग राजस्व विभाग एवं जिलाधिकारी की अनुमति से आवश्यक्ता पडने पर अनुमति लेकर भूमि विक्रय कर सकते हैं।
दसौनी ने कहा कि उक्त व्यवस्था का अनुचित लाभ उठाते हुए कुछ भु माफियाओं द्वारा उक्त व्यवस्था का लाभ उठाकर अपनी काली कमाई का धंधा बना लिया जिससे गरीब अनु० जाति के व्यक्तियों कि भूमि बेचने हेतु बनाये गये कानून का दुरुपयोग देखने को मिला है। दसौनी ने हतप्रभ करने वाला खुलासा करते हुए कहा की इस पूरे प्रकरण में बड़ा सवाल यह उठता है कि एक ही व्यक्ति को इतने बड़े पैमाने पर भूमि क्रय विक्रय करने की अनुमति भी मिलती रही और शासन प्रशासन में बैठे हुए किसी भी अधिकारी को उस पर शक नहीं हुआ या फिर यह सभी की मिली भगत का नतीजा है?
दसौनी ने कहा कि इस क्रम में रतिराम पुत्र ज्योति राम निवासी ग्राम व पो० ओ० सभावाला तहसील विकासनगर देहरादून नामक व्यक्ति द्वारा लगभग 200 से 300 बीघा भूमि फर्जी शपथ पत्र प्रस्तुत करके राजस्व विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत से अनुमति प्राप्त कर प्लाटिंग कर ऊँचे दामों में विक्रय कर दी गयी, इस कारण रतिराम पुत्र ज्योति राम निवासी सभावाला के विरूद्ध फर्जी शपथपत्र सम्बधित प्रकरण में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट देहरादून के आदेश अनुसार थाना कोतवाली देहरादून में 420,467,468,471,120बी संबंधित धाराओं में अभियोग पंजीकृत किया गया जिसकी जाँच गतिमान है परन्तु रतिराम की पैठ इतनी गहरी है कि उसकी गिरफ्तारी पुलिस प्रशासन द्वारा अभी तक नहीं की गयी है।
दसौनी ने कहा कि उक्त व्यक्ति द्वारा गरीब अनु० जाति के लोगों से औने पौने दामों में जमीन खरीद कर फर्जी प्रपत्रों के आधार पर अनुमति प्राप्त कर ऊँचे दामों में विक्रय कर करोडो रू० की काली कमाई कर ली गयी है। इस गोरखधंधे में राजस्व विभाग के कर्मचारियों की पूर्णतः मिलीभगत है। इसके अलावा भी कई अन्य व्यक्तियों द्वारा अनु० जाति के व्यक्तियों की भूमि औने पौने दामों पर खरीद कर फर्जी प्रपत्रों के आधार पर अनुमति लेकर ऊँचे दामो पर बेच कर सरकार द्वारा बनाये गये कानून की धज्जियां उडाई जा रही हैं। दसौनी ने मांग करते हुए कहा कि यह प्रकरण इतना गंभीर प्रवृत्ति का है कि जिसकी व्यापक जांच की जानी चाहिए और दोषी व्यक्तियों एवं संलिप्त राजस्व कर्मचारियों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही किया जाना आवश्यक है। दसौनी ने अंदेशा जताया कि जब अस्थाई राजधानी देहरादून के विकासनगर में भ्रष्टाचारियों के मंसूबे इतने मजबूत हैं तो पता नहीं प्रदेश में कहां कहां भू माफियाओं के द्वारा इस तरह के कृत्य को अंजाम दिया जा रहा होगा।