देहरादून। मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, देहरादून ने आज स्तन कैंसर जागरूकता माह के उपलक्ष्य में महिलाओं के लिए जागरूकता वार्ता/कार्यक्रम का आयोजन किया। इसमे महिलाओ में स्तन कैंसर के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए कई कार्यक्रमों और गतिविधियों का आयोजन किया। स्तन कैंसर स्क्रीनिंग पैकेज भी शुरू किया गया जो परामर्श के साथ मैमोग्राफी, स्तन अल्ट्रासाउंड और पैपस्मीयर पर 50 प्रतिशत की छूट प्रदान करेगा। कोई भी महिला इस पैकेज का लाभ उठा सकती है जो एक महीने के लिए वैध है।
अक्टूबर स्तन कैंसर जागरूकता माह होने के नाते, मैक्स अस्पताल के विशेषज्ञों की एक टीम ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे भारत में महिलाएं तेजी से स्तन कैंसर का शिकार हो रही हैं। स्तन कैंसर स्क्रीनिंग पैकेज का उद्घाटन डॉ. (प्रो.) अलकनंदा गर्ग ने किया। इस अवसर पर डॉ. रुनु शर्मा, एसोसिएट कंसल्टेंट, मेडिकल ऑन्कोलॉजी और मनीसा पट्टनायक, प्रिंसिपल कंसल्टेंट-सर्जिकल ऑन्कोलॉजी भी उपस्थित थीं।
महिलाएं समुदाय का एक अभिन्न अंग हैं, लेकिन उनका स्वास्थ्य अभी भी प्राथमिकता नहीं है। इसलिए मैक्स हॉस्पिटल ने यह कदम सभी आयु की महिलाओं के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए उठाया ताकि शुरुआती चरणों में स्तन कैंसर की रोकथाम हो सके। महिलाओं को शुरुआती चेतावनी के संकेतों जैसे कि गांठ या स्तनों से असामान्य स्राव आदि के बारे में पता होना चाहिए। वार्षिक स्वास्थ्य जांच और उम्र-विशिष्ट स्तन कैंसर की जांच से पूर्व-कैंसर या प्रारंभिक अवस्था में ही समस्याओं का पता लगाया जा सकता है, जो एक जीवन रक्षक साबित हो सकता है। डॉ. रुनु शर्मा ने कहा, “दुनिया भर में हर 8 में से 1 महिला स्तन कैंसर से पीड़ित है। भारत जैसे देशों में जहां व्यापक कैंसर केंद्रों की कमी है और कोई मजबूत जांच कार्यक्रम नहीं है, इनमें से आधे से अधिक कैंसर का पता बाद में या अंतिम अवस्था में लगाया जाता है। प्रारंभिक अवस्था में कैंसर का पता लगाने के लिए स्क्रीनिंग मैमोग्राफी सबसे अच्छा इमेजिंग उपकरण रहा है। हम 45 साल से ऊपर की हर महिला को स्क्रीनिंग मैमोग्राम और पैप स्मीयर टेस्ट कराने के लिए प्रेरित करने की कोशिश करते हैं।“ डॉ. मनीसा पट्टनायक ने कहा, “भारतीय समाज में स्तन कैंसर से पीडित होना अभी भी एक कलंक माना जाता है, और स्तन कैंसर से पीड़ित महिलाएं इस के बारे में नहीं बोलती हैं। हमारे समाज में स्तन कैंसर के प्रति दृष्टिकोण ने कैंसर रोगियों को अदृश्य बना दिया है, खुली चर्चा को रोक दिया है और जनता के लिए भय और गलत सूचना का एक दुष्चक्र पैदा कर दिया है। यह जरूरी स्तन कैंसर के जोखिमों और जल्दी पता लगाने के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के प्रयासों में बाधा है। साथ ही, हमारे देश में ज्यादातर मामलों का निदान बहुत देर से होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार, भारत में 60ः से अधिक महिलाओं में स्तन कैंसर का निदान अग्रिम चरणों में किया जाता है। यह रोगी के लिए जीवित रहने की दर और उपचार विकल्पों को काफी प्रभावित करता है। हमने अपने हॉस्पिटल में स्तन कैंसर के मामलों की संख्या में वृद्धि देखी है, वर्तमान में हमारे नए निदान किए गए कैंसर रोगियों में से लगभग 40ः को स्तन कैंसर है।