देहरादून । देहरादून में सामाजिक संस्था ध्यानदीप का उद्घाटन किया गया। इस दौरान संस्था की मुख्य आरुषि सुंद्रियाल ने बताया कि समाज में बढ़ती अनैतिकता और अराजकता को देखते हुए उन्होंने ऐसी संस्था की स्थापना की है जिसका मुख्य उद्देश्य धर्म के माध्यम से समाज में नैतिक मूल्यों मैं नए प्राण फूकना है। आज के समाज में धार्मिक भावनाओं को लेकर बड़ा ही मिथ्यापूर्ण वातावरण है, अधिकतम लोग या तो धर्म से बहुत दूर जा चुके हैं या धर्म के वास्तविक अर्थ से बहुत दूर हैं। उन्होंने कहा कि अधिकतम लोग धर्म को सिर्फ पूजा पाठ से जोड़ते हैं जबकि सनातन धर्म केवल पूजा पाठ नहीं बल्कि एक आचार संहिता है, सनातन धर्म मनुष्य को जीवन जीने का उचित मार्गदर्शन देता है, और यही मार्गदर्शन ध्यानदीप के माध्यम से लोगों तक पहुंचाने का पूरा प्रयास किया जाएगा।
कार्यक्रम का शुभारंभ गणपति पूजन से किया गया जिसके बाद संस्था की संस्थापक सदस्य किरन मंद्रवाल जी ने कहा की समाज में खुले वृद्ध आश्रम हमारे समाज पर एक कलंक है। मनुष्य अपने जीवन की अधिकतम पूंजी अपने बच्चों पर खर्च कर देता है जिसके बदले उनकी सिर्फ यही अपेक्षा होती है की वृद्धावस्था मैं उनके बच्चे उनका सहारा बने परंतु आधुनिक समाज में यह प्रथा विलुप्त होती जा रही है जिसका कारण है बच्चों की परवरिश मैं समय के साथ आ रहे निरंतर बदलाव, बच्चों में धर्म निपुण आचरण की कमी के दुष्परिणाम समझने में मनुष्य का सारा जीवन बीत जाता है। ध्यानदीप के माध्यम से एक ऐसे समुदाय का गठन किया जाएगा जिसमें सम्मिलित रहने से उभरती पीढ़ी का आचरण धर्मअनुकूल हो। कार्यक्रम के दौरान एक विशेष कार्यशाला भी आयोजित की गई थी जिसमें सनातन धर्म के महत्व के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई कार्यक्रम के दौरान संस्था के संस्थापक सदस्य हरेंद्र सिंह बेदी जी ने कहा कि संस्था द्वारा सभी सदस्यों से यह अनुरोध किया गया है किस संस्था का कोई भी सदस्य कोई भी फल खाए तो उसके बीच दो कर सुखाकर एकत्रित कर जिनको एकत्रित कर किसी ऐसे स्थान पर उगाया जाएगा जहां वन्य पशु पक्षी उनका लाभ ले सकें। साथ ही संस्था द्वारा जनहित में अनेकों अन्य गतिविधियों की भी योजना है। कार्यक्रम के दौरान पूर्व राज्य मंत्री विशाल डोभाल, कोमल बोरा, आनंद जगूड़ी, मनोज फुलारा, लालचंद शर्मा, आनंद सिंह पवार, लकी राणा, शिवम इत्यादि ध्यान दीप के सदस्य मौजूद रहे।