देहरादून। जिलाधिकारी ने ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड-19 संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए समस्त उप जिलाधिकारियों को ग्राम प्रधानों से वार्ता कर गांवों की स्थिति के बारे में जानकारी प्राप्त करें तथा जिन गांवो में खांसी, सर्दी, बुखार के लक्षण वाले व्यक्ति है उनमें सम्पलिंग की जाए तथा पाॅजिटिव व्यक्ति चिन्हित होने पर तत्काल कन्टेंनमेंट जोन बनाएं जाए। उन्होंने समस्त उप जिलाधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्रों में लेखपालों को ड्यूटी पर लगाएं जो गांव में दूरभाष पर जानकारी प्राप्त करेंगे कि किसी व्यक्ति में कोविड संक्रमण के लक्षण यथा सर्दी, जुखाम, बुखार, खासीं से पीड़ित व्यक्ति हैं उनकी प्रतिदिन जानकारी प्राप्त करेंगे तथा यह प्रक्रिया अपनाने के निर्देश दिए।
उन्होंने समस्त उप जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि प्राथमिकता के आधार पर सैम्पलिंग के लिए गांव को तीन प्रकार की श्रेणी में बांटा जाए पहला जिन गावों में सर्दी, खांसी, बुखार के लक्षण वाले व्यक्ति हों उनमें तत्काल एन्टीजन सैम्पलिंग की जाए, द्वितीय श्रेणी में उन गावों को शामिल किया जाए जिनमें यदि कोई व्यक्ति बाहर से आया हो अथवा विवाह समारोह आयोजित किया गया हो तथा तीसरी श्रेणी में ऐसे गांव रखे जाएं जहां पर अभी कोई समस्या नही है। उन्होनंे उप जिलाधिकारियों को यह भी निर्देश दिए कि यह व्यवस्था सुनिश्चित की जाए कि दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में यदि किसी का स्वास्थ्य खराब हो तो उसे तत्काल नजदीकी चिकित्सालय में भर्ती करवाने कार्यवाही हो सके। उन्होंने मुख्य विकास अधिकारी को निर्देश दिए कि ग्रामीण क्षेत्रों कोविड संक्रमण के लक्षण एवं उससे बचाव के उपाय एवं जागरूकता सम्बन्धी होर्डिंग, पोस्टर, आदि सामग्री चस्पा करने के निर्देश दिए। समस्त उप जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि ग्राम प्रधानों को पूर्व में दी गई धनराशि व्यय हो गई है तो पुनः धनराशि आवंटित की जाए तथा यह भी सुनिश्चित कर लिया जाए कि गांव में नियमित सेनिटाइजेशन कार्य सम्पादित हों। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में आईवरमैक्टिन दवा प्राथमिकता के आधार पर वितरण करवाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि चकराता, त्यूणी, कालसी एवं डोईवाला, सहसपुर ब्लाॅक में पहाड़ी क्षेत्रों में प्राथमिकता के आधार पर आइवरमैक्टिन दवाओं का वितरण करवाया जाए।