रुद्रपुर। कोविड-19 की दूसरी लहर ने देशभर में तहलका मचा दिया है, जिसकी वजह से जनता में एक अनोखा स्वास्थ्य संकट पैदा हो गया। जबकि लाखों लोग कोविड-19 से ठीक हो रहे हैं, लेकिन उनमें से दिल के मरीजों को अतिरिक्त सावधानी बरतनी होगी। डॉ एस.पी. सिंह, सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट, नारायण अस्पताल और ट्रॉमा सेंटर, रुद्रपुर ने पॉजिटिव पाए गए सभी दिल के मरीजों को ठीक होने के बाद हार्ट चेकअप या वायरस के कारण होने वाले किसी भी दुष्प्रभाव का इलाज करवाने के लिए खासतौर से कहा है।
दिल के मरीजों पर कोविड-19 के प्रभाव पर बताते हुए, डॉ एस.पी. सिंह कहते हैं, “हृदय रोगी महामारी में सबसे कमजोर रोगी समूहों में से हैं। जिन रोगियों का टेस्ट पॉजिटिव आया है, उन्हें सतर्क रहने की आवश्यकता है क्योंकि कोविड-19 के हृदय रोगियों या हृदय रोग वाले व्यक्तियों में गंभीर लक्षण देखे गए हैं और उसके परिणाम और भी बुरे हैं। उन्हें किसी भी घातक दुष्प्रभाव या स्थिति का समय पर इलाज सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण इमेजिंग टेस्ट और चेक-अप करवाना होगा, जो कोरोनावायरस संक्रमण के कारण उनके शरीर या हार्ट में बहुत बुरे प्रभाव पड़ सकते हैं। एशिया, यूरोप और अमेरिका में अस्पताल में भर्ती हुए गए कोविड-19 रोगियों से जुड़े एक प्रमुख अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने पाया कि दिल की बीमारी के साथ होने वाली बीमारियां या पहले से मौजूद जोखिम वाले कारकों में हृदय संबंधी समस्याएं होने की संभावना अधिक होती है।
हृदयरोग के मरीजों को अपने दिल से जुड़ी समस्याओं को नजर अंदाज या टालना नहीं चाहिए, क्योंकि यह जानलेवा साबित हो सकता है। कई मामलों में, मरीजों में गंभीर समस्या विकसित हो जाती हैं, जैसे खून के थक्के या थ्रोम्बस बनना, जिससे कोरोनरी धमनियों में 100 प्रतिशत रुकावट हो सकती है। विश्व के कई देशों के स्वतंत्र अध्ययनों ने महामारी के दौरान अस्पताल जाने में उनके या उनके परिजनों की मर्जी न होने के कारण दिल के मरीजों के भर्ती होने में 50 प्रतिशत की गिरावट की पुष्टि की है। इस चिंताजनक आदत का जिक्र करते हुए डॉ सिंह ने कहा, हृदयरोग के मरीजों को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि यदि उनके दिल की ऐसी हालत है जिसे देखभाल की जरूरत है और दिल का दौरा पड़ने के किसी भी लक्षण के मामले में उन्हें उचित निदान और इलाज के लिए तुरंत अस्पताल में रिपोर्ट करना चाहिए। इस स्थिति में यदि स्टेंटिंग की जरूरत होती है, तो उन्हें कोविड संक्रमण के डर से भर्ती होने में देरी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि सभी मल्टी-स्पेशियलिटी अस्पतालों में कोविड और गैर-कोविड मरीजों के वार्ड को अलग रखने के लिए सख्त प्रोटोकॉल हैं। कई मामलों में, विशेष रूप से दिल के मरीजों में अस्पताल पहुँचने में देरी करना जीवन के लिए खतरा हो जाता है।