देहरादून। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय देहरादून की मुख्य शाखा सुभाष नगर में आज अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष में एक ऑनलाइन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी (क्षेत्रीय संचालिका ब्रह्माकुमारीज, देहरादून क्षेत्र) ने कहा कि योग अर्थात जोड़ना अथवा जुड़ना। आत्मा से परमात्मा का जुड़ना यही वास्तविक और प्राचीन योग है। योग अपने आप से जुड़ने का नाम भी है। योग अंतर जगत की ओर एक यात्रा है। वह स्वयं को जानने या यूं कहें कि पुनरू पहचानने की यात्रा है।योग अर्थात अपनी भागदौड़ भरी जिंदगी से थोड़ा समय निकालकर शांति में बैठकर आत्म निरीक्षण करना है।
इस तरह के समय निकालने से हम अपने चेतना के मर्म की ओर लौट आते हैं। इस आधुनिक दुनिया में, हम अपनी जिंदगी से इतनी दूर निकल आए है कि हम अपने सच्चे मन की शांति और शक्ति को भूल गए हैं। फिर जब हमारी जड़ें कमजोर होने लगती हैं तो हम इधर उधर के आकर्षणों में फंसने लग जाते हैं और यहीं से हम तनाव महसूस करने लग जाते हैं। आहिस्ते आहिस्ते यह तनाव हमारी मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक स्वास्थ्य को असंतुलित कर हमें बीमारियों में भी जकड़ सकता है। ब्रह्माकुमारी संस्था द्वारा सिखाया जाने वाला योग राजयोग है। राजयोग एक ऐसा योग है जिसे हर कोई कर सकता है । यह ऐसा योग है जिसमें कोई धार्मिक प्रक्रिया या मंत्र आदि नहीं है इसे कहीं भी और किसी भी समय किया जा सकता है। राजयोग को आंखें खोलकर किया जाता है इसलिए ये अभ्यास सरल और आसान है। योग एक ऐसी स्थिति है जिसमें हम अपनी रोजमर्रा की चिंताओं से परे जाते हैं और हम अपने आध्यात्मिक सशक्तिकरण का आरंभ करते हैं। आध्यात्मिक जागृति हमें स्वस्थ और नकारात्मक भावों से दूर कर अच्छे और सकारात्मक विचार चुनने की शक्ति देता है। हम परिस्थितियों का जवाब जल्दबाजी में देने के बजाय सोच समझकर निर्णय करेंगे। हम समरसता में जीने लगते हैं और हमारे अंदर शांति आने लगती है यही वास्तविक योग है।
इस अवसर पर महामंडलेश्वर स्वामी हरि चेतनानंद (श्री हरिहर आश्रम ट्रस्ट, हरिद्वार) ने कहा कि 21 जून अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर या जहां-जहां पर योग होता है सभी को साधुवाद प्रणाम। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर ईश्वरीय विश्व विद्यालय बहुत दीर्घकाल से भारत में ही नहीं विश्व के अनेक देशों में राजयोग को घर घर पहुंचाने का कार्य कर रहा है। भारतीय संस्कृति में योग का विशेष महत्व है। हमारे ऋषि-मुनियों ने योग को बहुत महत्व दीया, महत्व ही नहीं दिया योग भी किया। हिमालय की कंदराऔ में बैठकर नदी के किनारे बैठकर योग किया। योग के जनक योग के आदि गुरु सदाशिव हैं भगवान शिव भगवान तो है ही हैं, आदि योगी भी हैं। उन्होंने ही सारे विश्व को योग सिखाया है परमात्मा शिव ने ही प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय में योग सिखाया है जिसको ब्रम्हाकुमारी भाई बहनें घर घर जाकर सबको सिखा रही हैं। इस अवसर पर अपने आशीर्वचन देते हुए आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि (पीठाधीश्वर श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा हरिद्वार) ने कहा कि ब्रह्माकुमारी संस्था आदि परंपराओं को लेकर सनातन परंपराओं को लेकर तथा आत्म चिंतन के भाव को लेकर सारे विश्व में अपनी सेवाएं दे रही हैं। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष में ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा बहुत ही अग्रणी भूमिका में सारे विश्व को राजयोग का महत्व समझाकर उसका अभ्यास भी कराती है।