नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल, असम, केरल समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों का डंका बज गया है। चुनाव आयोग ने शुक्रवार को इन सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव कार्यक्रमों का एलान कर दिया। 27 मार्च से 29 अप्रैल तक मतदान होगा और दो मई को नतीजों का एलान होगा। राजनीतिक दृष्टि से सबसे संवेदनशील माने जाने वाले बंगाल में आयोग ने आठ चरणों में चुनाव कराने का फैसला लिया है, जो राज्य में अब तक का सबसे लंबा चुनाव होगा। इससे पहले यहां सात चरणों में चुनाव कराए गए हैं। इसके साथ ही असम में तीन चरणों में चुनाव होंगे। जबकि तमिलनाडु, केरल और केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में एक-एक चरण में ही विधानसभा चुनाव कराए जाएंगे। चुनावों के एलान के साथ ही इन राज्यों में आचार संहिता लागू हो गई है।
मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने बंगाल सहित चार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी के विधानसभा चुनावों का एलान करते हुए भरोसा दिया कि चुनाव पूरी तरह से निष्पक्ष होंगे। साथ ही सुरक्षा के भी पर्याप्त बंदोबस्त किए गए हैं। इस बीच उन्होंने कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए उठाए गए जरूरी एहतियाती कदमों की भी जानकारी दी। इसमें वोटरों के लिए मास्क जरूरी होगा। साथ ही सभी राज्यों में पुख्ता सुरक्षा इंतजामों को लेकर विशेष पुलिस पर्यवेक्षकों की भी तैनाती की गई है। हालांकि बंगाल में ऐसे दो पर्यवेक्षक तैनात किए गए हैं। जरूरत पड़ने पर आयोग ने इनकी संख्या बढ़ाने की भी बात कही है। मुख्य चुनाव आयुक्त के साथ इस दौरान उनके सहयोगी चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा और राजीव कुमार भी मौजूद थे।
आयोग ने इस दौरान बंगाल और असम जैसे राज्यों में केंद्रीय सुरक्षा बलों की देखरेख में चुनाव कराने की बात को खारिज किया और कहा कि राज्यों की भी अपनी भूमिका होती है। राज्यों की मांग पर ही केंद्रीय सुरक्षा बल भेजे जाते हैं। ऐसे में उन्हें कहां तैनात करना है, इसका फैसला राज्यों का होता है। साथ ही यह साफ किया कि केंद्रीय सुरक्षा बल अकेले बंगाल में ही नहीं भेजे गए हैं, बल्कि चुनाव वाले सभी राज्यों को मांग के आधार पर दिए गए हैं। आयोग ने एक सवाल के जवाब में कहा कि बंगाल और असम में ज्यादा चरणों में चुनाव कराने का फैसला सुरक्षा इंतजामों को देखते हुए लिया गया है।
ध्यान रहे कि पिछले दिनों में बंगाल में हिंसा की काफी घटनाएं हुई हैं। लोकसभा चुनाव के वक्त हिंसा से आशंकित कई चुनाव कर्मियों ने भी ड्यूटी पर जाने से इन्कार कर दिया था। संभव है कि इसी खातिर बंगाल में अब तक के सबसे अधिक चरणों में मतदान कराने का फैसला लिया गया है।आयोग ने इस दौरान ईवीएम से जुड़े एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि ईवीएम पूरी तरह से सुरक्षित हैं। पहले भी कहा था और अब भी उस पर कायम हूं। रही बात सवाल खड़ा करने की तो लोकतंत्र में सभी को सवाल खड़ा करने की आजादी है। बंगाल में पहला चरण- 27 मार्च को होगा, दूसरा- 1 अप्रैल, तीसरा- 6 अप्रैल, चैथा- 10 अप्रैल, पांचवां चरण- 17 अप्रैल, छठा चरण- 22 अप्रैल, सातवां चरण- 26 अप्रैल, आठवें चरण का मतदान- 29 अप्रैल को होगा। असम में प्रथम चरण का मतदान- 27 मार्च, दूसरे चरण का मतदान- 1 अप्रैल और तीसरे चरण का मतदान -6 अप्रैल को होगा। केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी में 6 अप्रैल को मतदान होंगे। सभी राज्यों में 2 मई को मतगणना होगी।