-हमें मन, वचन और कर्म से अहिंसक होना चाहियेः चैधरी बृजपाल
देहरादून/ऋषिकेश। मुनिकीरेती गढवाल मण्डल विकास निगम एवं पर्यटन विभाग के संयुक्त तत्वाधान में आयेाजित अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव के पांचवे दिन विभिन्न योग कक्षाओं में योगाचार्यों ने प्रतिभागियों को योगाभ्यास कराये और स्वस्थ जीवन के लिये योग के महत्व पर प्रकाश डाला। प्रातःकालीन सत्र में चैधरी बृजपाल सिंह ने योग व प्राणायाम के बारे में विस्तार से बताते हुये कहा कि यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा एवं समाधि योग के प्रमुख तत्व है। जिसमें यम के पांच तत्व अहिंसा, सत्य, ब्रहमचर्य, अस्तेय, अपरिग्रह प्रमुख है। हमें मन, वचन और कर्म से अहिंसक होना चाहिये, हमारी भाषा में भी हिंसक शब्दों का प्रयोग नहीं होना चाहिये अैार न ही हिंसा के बारे में सोचना चाहिये। अपरिग्रह के बारे में उन्होनें कहा की मनुश्य को अपनी बुनियादी आवश्यकता से अधिक किसी भी चीज का संग्रह नहीं करना चाहिये एवं जीवन में संयम को अपनाते हुये संतुष्ट रहना चाहिये ,और अनावश्यक लोभ-लालच से दुर रहना चाहिये।
योग साधकों को शारीरिक अभ्यास करने के साथ-साथ उन्होनें कहा कि हमें आत्मनिरीक्षण कर अपनी कमियों को तलाशना चाहियें ,और उन्हें दूर करने के लिये हरसम्भव प्रयत्न करना चाहिये ।सुखासन के बारे में बताते हुये उन्होनें कहा कि शरीर को कष्ट न देते हुये सुगम तरीके से वही आसन करने चाहिये, जो आसानी से हो सकें। दूसरी तरफ योगाहाॅल में शषिकान्त दुबे ने आसन, प्राणायाम एवं ध्यान के बारे में साधकों को जानकारी देते हुये कहा की नियमित रूप से योग से जुडकर हम अपने जीवन को सार्थक बना सकते है। योग का अभ्यास करने से शरीर निरोग हो जाता है। योग न केवल शरीर वरन मस्तिष्क को भी स्वस्थ रखता है। और व्यक्ति शरीर मन एवं आत्मा से स्वस्थ होता है। उन्होनें कहा कि कोरोना काल में जिन लोगों ने नियमित रूप से योगाभ्यास किया वो कोरोना के संक्रमण से अछूते रहे। उन्होनें योग को अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाने का आह्वान करते हुये कहा कि शरीर की सारी बीमारियां योग से ही दूर हो सकती है।
महर्षि अत्रि सभागार में आचार्य विपिन जोशी ने प्रतिभागियों को सुगम योग का अभ्यास कराया ,उन्होनें कहा कि आज उत्तराखण्ड आरोग्यता का हब बन गया है। देश एवं दुनिया के लोग सुकून के लिये उत्तराखण्ड हिमालय की ओर आ रहे है। उत्तराखण्ड में सभी अनोत्तरित सवालों का जवाब मिल जाता है। जब भी कोई व्यक्ति संकट में होता है तो वह हिमालय की ओर रूख करता है। आदिकाल से ही बडे-बडे सन्त, महापुरूष एवं धर्मगुरूओं ने हिमालय में आकर कठिन साधना की और पूरे विशव को अपने ज्ञान से आलोकित किया। कार्यक्रम स्थल पर गढवाल मण्डल विकास निगम के प्रबन्ध निदेशक डाॅ आषीश चैहान, महाप्रबन्धक जितेन्द्र कुमार, महाप्रबन्धक (प्रशासन) अवधेश कुमार सिंह, महाप्रबन्धक (वित्त) अभिषेक कुमार आनन्द समेत कई अधिकारी व कर्मचारी मौजूद रहे।