-पर्यावरण विज्ञान की तर्ज पर अनिवार्य विषय होगा आपदा प्रबंधन
-कुलपति की अध्यक्षता में गठित समिति तैयार करेगी पाठ्यक्रम
देहरादून,। राज्य में आपदा की संवेदनशीलता को देखते हुए विश्वविद्यालयों में आपदा प्रबंधन के विभिन्न कोर्स संचालित किये जायेंगे। इसके तहत स्नातक स्तर पर काॅलेज में पर्यावरण विज्ञान की भांति आपदा प्रबंधन विषय भी अनिवार्य रूप से पढ़ाया जायेगा। इसके लिए राज्य विश्वविद्यालयों की कुलपतियों की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन कर दिया गया है जो राज्य में आने वाली आपदा के अनुरूप आपदा प्रबंधन का पाठ्यक्रम तैयार करेगी। इसके साथ ही पंचायत प्रतिनिधियों सहित पोर्टरों एवं ड्राइवरों को एक माह का रिफ्रेशर कोर्स करवाया जायेगा। ताकि प्रदेश में आने वाली आपदाओं की चुनौतियों से निपटा जा सके। यह बात उच्च शिक्षा, सहकारिता, प्रोटोकाॅल, आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डाॅ. धन सिंह रावत ने आज बीजापुर सभागार में उच्च शिक्षा एवं आपदा प्रबंधन विभाग की बैठक में कही।
बैठक में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सदस्यों की उपस्थिति में विभागीय मंत्री डा. रावत ने बताया कि आपदा की संवेदनशीलता को देखते हुए राज्य के डिग्री काॅलेजों में पर्यावरण विज्ञान की तर्ज पर अब आपदा प्रबंधन विषय भी अनिवार्य किया जायेगा। जिसके अंतर्गत विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में अध्ययनरत 04 लाख छात्र-छात्राओं को आपदा प्रबंधन के गुर सिखाये जायेंगे। ताकि आपदा के दौरान जानमाल की क्षति कम किया जा सके। विभाग के इस नए प्रयोग को लागू करने के लिए उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ओ.पी.एस नेगी की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गई है जिसमें सचिव आपदा प्रबंधन सदस्य सचिव होंगे तथा सभी राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपति एवं एसडीआरएफ के अधिकारी सदस्य होंगे। पाठ्यक्रम तैयार करने हेतु गठित समिति विश्वविद्यालयों के लिए छह माह का सार्टिफिकेट कोर्स तथा एक साल का डिप्लोमा कोर्स का पाठ्यक्रम तैयार करेगी। जो कि स्ववित्त पोषित के रूप में विश्वविद्यालयों में संचालित किया जायेगा। इसके अलावा समिति राज्य के विश्वविद्यालयों एवं राजकीय महाविद्यालयों में अनिवार्य विषय के रूप में आपदा प्रबंधन विषय को चलाये जाने हेतु भी पाठ्यक्रम तैयार करेगी। विभाग की योजना है कि भविष्य में पंचायत प्रतिनिधियों, ग्राम प्रहरियों, युवक मंगल दल, महिला मंगल दल, वन प्रहरियों, टैक्सी चालकों, पोर्टरों आदि को भी आपदा प्रबंधन के आधारभूत गुर सिखाये जायेंगे जिसके लिए गठित समिति एक माह का रिफ्रेशर कोर्स तैयार करेगी।