नई दिल्ली। दुनिया भर के देशों को छह करोड़ वैक्सीन भेज चुका भारत अब इसे सीमित करेगा। कोरोना के बढ़ते मामले देखते हुए सरकार अब घरेलू जरूरतों को प्राथमिकता देगी। निर्यात पर पूरी तरह रोक की खबरों के बीच विदेश मंत्रालय ने साफ किया कि मौजूदा घरेलू निर्माण क्षमता और राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम को देखते हुए दूसरे देशों को होने वाली वैक्सीन सप्लाई को लेकर सरकार अब सोच-समझ कर फैसला करेगी। निर्यात पर पूरी तरह से प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। अब तक सरकार दुनिया के 75 देशों को छह करोड़ वैक्सीन का निर्यात कर चुकी है।
मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक, साझेदार देशों को आगे भी वैक्सीन की सप्लाई उनकी जरूरत के मुताबिक होती रहेगी। देश में कोरोना की दूसरी लहर को देखते हुए वैक्सीन के निर्यात को सीमित किया गया है। यूरोप के कई देशों ने वैक्सीन के निर्यात पर रोक लगा दी है। वैक्सीन के निर्यात को सीमित करने के बाद सरकारी स्तर पर कोरोना के टीकाकरण की रफ्तार में तेजी के प्रयास किए जाएंगे। राज्य सरकार के स्तर पर भी इस मामले में बातचीत की जा रही है। अभी वैक्सीन की रफ्तार उम्मीद से कम है। अभी देश में रोजाना 52 लाख कोविशील्ड और कोवैक्सीन बनाने की क्षमता है। इनमें से निर्यात भी किए जा रहे थे। आगामी एक अप्रैल से 45 साल से अधिक आयु वाले सभी व्यक्तियों को वैक्सीन लगाने का फैसला किया गया है। ऐसे में रोजाना 45 लाख टीकाकरण करने पर भी 45 साल से अधिक उम्रवालों के टीकाकरण को पूरा करने में 120 दिन लग जाएंगे। सरकार हर हाल में कोरोना संक्रमण की चेन को समाप्त करना चाहती है, ताकि अर्थव्यवस्था की रिकवरी की गाड़ी पटरी पर बनी रहे। माना जा रहा है कि सरकार जल्द से जल्द वैक्सीन सभी आयुवर्ग के लिए खोलना चाहती है। आने वाले दिनों में कुछ और वैक्सीन आएंगे, लेकिन भारत कोविशील्ड और कोवैक्सीन की गति में तेजी लाकर इसे पूरा करेगा। पिछले एक महीने से कोरोना संक्रमण के नए मामलों में तेजी आ रही है और विशेषज्ञ इसे संक्रमण की दूसरी लहर बता रहे हैं। मिजोरम, राजस्थान, गुजरात, त्रिपुरा, सिक्किम, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में टीकाकरण की रफ्तार देश की औसत रफ्तार से अधिक है। वहीं, दिल्ली, महाराष्ट्र, पंजाब, आंध्र प्रदेश, केरल, कर्नाटक, तेलंगाना व गोवा जैसे राज्यों में टीकाकरण की रफ्तार देश की औसत रफ्तार से कम है।