-तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय योग ई-काॅन्क्लेव विख्यात विभूतियों द्वारा योग का जीवन पर प्रभाव और महत्व पर चर्चा
ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश, यूथ न्यूज आॅनलाइन, इन्डियन योग एशेसिएशन और राष्ट्रीय युवा फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय योग ई-काॅन्क्लेव का आॅनलाइन आयोजन कई समस्याओं के सहयोग से किया गया, जिसमें विश्व विख्यात योगाचार्य और पूज्य संतों का दिव्य मार्गदर्शन और आशीर्वाद प्राप्त हो रहा है। अन्तर्राष्ट्रीय योग ई-काॅन्क्लेव के उद्घाटन अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि वर्तमान समय में हमारे चारों ओर जो परिदृश्य है उसका संयम और धैर्य के साथ सामना करने के लिये हम सब को तैयार रहना बहुत जरूरी है। दुनिया तेजी से बदल रही है, बढ़घ्ते प्रदूषण के कारण प्रकृति और पर्यावरण का हर दूसरे दिन एक नया स्वरूप देखने को मिल रहा है। पहले केदारनाथ का प्रलय, अब कोरोना का कहर और फिर क्लाईमेंट चेंज की समस्या, कभी वाट्र शार्टेज, कभी ताऊते तो कभी यास तूफान आदि अनेक चुनौतियां हमारे सामने हंै। सरकार के साथ-साथ हम सबका भी राष्ट्रीय कर्तव्य एवं दायित्व है कि सब मिल कर इन सब चुनौतियों का सामना करें।
कोविड-19 ने मन और मस्तिष्क पर एक मनोवैज्ञानिक दवाब उत्पन्न किया है। पूरे वैश्विक स्तर पर तनाव, चिंता, भय, हताशा, जीवन से ऊब, आदि अनेक मनोविकारों को जन्म दिया है, साथ ही इस समय मंदी और बेरोजगारी भी बढ़ गयी है, इन सब मनोविकारों से उबरने तथा एक सकारात्मक मार्ग पर वापस आने के लियेे सबसे सहज और प्रभावी उपाय है ‘‘योग, प्राणायाम और ध्यान।’’ इस समय योग, ध्यान और प्राणायाम का यूनिवर्सल एजुकेशन बहुत जरूरी है ताकि हम सभी के अन्दर इम्युनिटी और ह्यूमैनिटी दोनों को सुरक्षित किया जा सके। स्वामी जी ने कहा कि योग को हम अपनी जीवनचर्या बनायें। योग करें, रोज करें और मौज करें क्योंकि निरोगी काया से ही हम जीवन का सही आनन्द ले सकते हैं इसलिये करें योग और रहें निरोग। योग से अपनी ग्राऊडिंग और एकरिंग मजबूत बनायें। योग न केवल शारीरिक आसनों का नाम है बल्कि शरीर का आत्मा से, आत्मा का परमात्मा और प्रकृति से संयोग भी कराता है। प्राणायाम अर्थात प्राणों का आयाम। इससे जीवन शक्ति बनी रहती है, ऊर्जा पर नियंत्रण होता है और शरीर में आक्सीजन का प्रवाह बना रहता है, जो इस समय की सबसे बड़ी जरूरत भी है। इस समय योग के साथ सहयोग की भी अत्यंत आवश्यकता है इसलिये योग तो करें पर कर्मयोग भी करें। स्वामी जी ने कहा कि आज विश्व पाचन स्वास्थ्य दिवस है और इस वर्ष 2021 में आज के दिन की थीम भी ‘ओबेसिटी एन ऑनगोइंग महामारी’ रखी गयी है। विगत 15-16 माह से बच्चे घरों के अन्दर बंद हैं। उनकी शारीरिक गतिविधियाँ और खेल कूद लगभग बंद से ही हो गये हैं तथा खान-पान की भी अस्त व्यस्तता से भी मोटापा बढ़ रहा है इसलिये योगमय संस्कृति को अपनाना ही सबसे सहज मार्ग है। राम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देव गिरि जी महाराज जी ने कहा कि योगः कर्मसु कौशलम् अर्थात् “कर्मों को कुशलतापूर्वक करना ही योग है। दूसरे का अहित किये बिना कुशलता पूर्वक कर्म करना ही योगमय जीवन है। कर्म करने से पूर्व योगस्थ हो जाना ही योग हमें सिखाता है।