रुड़की। आईआईटी रुड़की में इंटरनेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर डैम्स (आईसीईडी) की स्थापना के लिए केंद्रीय जल आयोग और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (आईआईटी रुड़की) के बीच श्रम शक्ति भवन, जल शक्ति मंत्रालय, नई दिल्ली में एक समझौता ज्ञापन (एमओए) पर हस्ताक्षर किए गए। एमओए पर हस्ताक्षर करने वाले इस कार्यक्रम की अध्यक्षता पंकज कुमार, सचिव, जल संसाधन विभाग, आरडी एंड जीआर (डीओडब्ल्यूआर, आरडी एंड जीआर) मंत्रालय, ने जल शक्ति मंत्रालय, प्रो यू पी सिंह, उप निदेशक, आईआईटी रुड़की, देबाश्री मुखर्जी, विशेष सचिव, डीओडब्ल्यूआर, आरडी एंड जीआर, जल शक्ति मंत्रालय, आनंद मोहन, संयुक्त सचिव, डीओडब्ल्यूआर, आरडी एंड जीआर, जल शक्ति मंत्रालय, कुशविंदर वोहरा, अध्यक्ष केंद्रीय जल आयोग, संजय कुमार सिब्बल, सदस्य डी एंड आर की उपस्थिति में की। एमओए पर विजय सरन, चीफ इंजीनियर, डीएसओ और प्रोजेक्ट डायरेक्टर, डीआरआईपी फेज और प्रोफेसर अक्षय द्विवेदी, डीन ऑफ स्पॉन्सर्ड रिसर्च एंड इंडस्ट्रियल कंसल्टेंसी, ने क्रमश सीडब्ल्यूसी और आईआईटी रुड़की की ओर से हस्ताक्षर किए। यह इंटरनेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर डैम्स (आईसीईडी) बांधों के विभिन्न सुरक्षा और पुनर्वास पहलुओं पर केंद्रित रहेगा, जैसे हाइड्रोलॉजिकल, हाइड्रोलिक, स्ट्रक्चरल, भू-तकनीकी, भूकंपीय सुरक्षा मूल्यांकन, और जलाशय अवसादन और गाद नियंत्रण, आदि।
इस केंद्र को बांध सुरक्षा के क्षेत्र में पर्याप्त पृष्ठभूमि और विशेषज्ञता धारी जनशक्ति विकसित करने हेतु बनाया जा रहा है। यह केंद्र लंबे समय में बांध के पूर्ण जीवन चक्र संचालन के लिए विकसित किया जाएगा। इस एमओए के तहत, जल शक्ति मंत्रालय ने डीआरआईपी चरण प्प् और प्प्प् के तहत आईआईटी रुड़की को बांधों के लिए उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने के लिए 108.99 करोड़ रुपये का अनुदान प्रदान किया है। इस एमओए हस्ताक्षर कार्यक्रम के दौरान, आईआईटी रुड़की में बांध सुरक्षा और पुनर्वास कार्यक्रम के समन्वयक प्रोफेसर एन के गोयल, थीम समन्वयक प्रो एम एल शर्मा, थीम समन्वयक प्रो जेड अहमद और जल विज्ञान विभाग के प्रमुख, प्रोफेसर बृजेश यादव भी उपस्थित थे। आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. के.के. पंत इस कार्यक्रम में ऑनलाइन शामिल हुए। भारत में 5334 बड़े बांध परिचालन में हैं और लगभग 411 बड़े बांध निर्माणाधीन हैं। इन बांधों की सुरक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है। मौजूदा बांधों में से कई बहुत पुराने हैं और उनके जीर्णोद्धार की जरूरत है। इन्हीं चिंताओं को ध्यान में रखते हुए आईआईटी रुड़की ने अगस्त 2021 से केंद्रीय जल आयोग, जल शक्ति मंत्रालय के सहयोग से सेवाकालीन इंजीनियरों के लिए बांध सुरक्षा और पुनर्वास पर एक नया एम टेक कार्यक्रम स्थापित किया है।प्रो. के.के. पंत ने जल सुरक्षा और बांधों की सुरक्षा के प्रति आईआईटी रुड़की की प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की। प्रो. यू.पी. सिंह, उप निदेशक ने देश और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की अपेक्षाओं को पूरा करने हेतु बांधों के लिए अंतर्राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र विकसित करने के लिए आईआईटी रुड़की की ओर से सर्वोत्तम प्रयासों का आश्वासन दिया। आईआईटी रुड़की में बांध सुरक्षा और पुनर्वास कार्यक्रम के समन्वयक प्रो. एन.के. गोयल ने आईआईटी रुड़की में आईसीईडी की स्थापना की जिम्मेदारी सौंपने के लिए एमओजेएस को धन्यवाद दिया और बांध सुरक्षा और पुनर्वास के प्रति आईआईटी रुड़की में संकाय सहयोगियों और छात्रों की प्रतिबद्धता का आश्वासन दिया। उन्होंने इस कार्यक्रम के लिए आईआईटी रुड़की को निरंतर मार्गदर्शन देने के लिए देबाश्री मुखर्जी को धन्यवाद दिया।