लखनऊ। अयोध्या की तर्ज पर उत्तर प्रदेश के पंद्रह जिलों को संवारा जाएगा। इसके लिए काम तेज कर दिया गया है। इसमें यूपी की राजधानी लखनऊ भी है। स्मार्ट सिटी के साथ-साथ लखनऊ की ऐतिहासिक धरोहरों, संस्कृति और धार्मिक स्थलों को पर्यटन की दृष्टिकोण से फोकस किया जाएगा। नए लखनऊ को दर्शाने के साथ ही पुराने लखनऊ की खूबसूरती बनाए रखने के लिए क्या किया जाए, उसे भी डीपीआर में शामिल किया जाएगा। यही नहीं इक्का तांगा से लेकर चिकन कारोबार तो रहेगा ही लेकिन शहीद पथ की तरफ बस रहे नए लखनऊ को और बेहतर करने की योजना है। इसको लेकर शासन में हुई बैठक के बाद हर शहर के प्राधिकरण को कंसलेटेंट नियुक्त करके डीपीआर बनाने के निर्देश दिए गए है। समग्र रिपोर्ट 31 मई 2021 तक मांगी गई है। शासन में प्रमुख सचिव आवास के यहां हुई बैठक में अयोध्या सिटी डेवलेपमेंट प्लान की तर्ज पर मथुरा, कानपुर, प्रयागराज, शाहजहांपुर, वाराणासी, मेरठ सहित पंद्रह जिलों को समग्र क्षेत्रों में बेहतर करने की योजना है। इसके लिए नगर विकास, सिंचाई, प्राधिकरण, लोक निर्माण विभाग को मिलकर काम करना होगा, जिससे आने वाली बाधाओं को समय से दूर किया जा सके। कंसलेटेंट को जिले की उक्त विभागों के साथ समय-समय पर बैठक होगी और बताया जाएगा कि डीपीआर के लिए क्या फोकस करने की जरूरत है! देखा जाएगा कि शहर घूमने वाले लोगों की पंसदीदा चीज क्या है, पयर्टक सबसे ज्यादा कहा जाते हैं, कौन से रोड पर ज्यादा आवागमन है। इसके साथ ही उन चीजों पर फोकस किया जाएगा कि जिनमें सुधार करते ही लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बन जाए। कुल मिलाकर यूपी को भारत के अन्य राज्यों की तुलना में बेहतर करने की योजना है। इसके लिए राज्य सरकार बजट भी डीपीआर के हिसाब से चरणबद्ध तरीके से जारी करेगी।