हरिद्वार। पेशवाई के दौरान पहली बार हरिद्वार में उत्तराखंड की लोक संस्कृति की झलक ढोल-दमाऊं की थाप पर साधु-संत नाचे। महाकुंभ की पेशवाई के दौरान साधु-संतों का हर रंग-रूप दिखाई दिया। जिससे आम जन परिचित नहीं होते। यह पहली बार हो रहा है कि जब पेशवाई में उत्तराखंड के ढोल-दमाऊं के साथ-साथ छोलिया नृत्य हुआ।
40 से अधिक कलाकारों का यह समूह पेशवाई के शुरुआती चरण में है। छोलिया नृत्य के प्रमुख मोहनदा का कहना है कि यह पहली बार है जब उन्हें कुंभ में उत्तराखंड की लोक संस्कृति को पेशवाई में दिखाने का मौका मिला है। बेहद सुंदर वेशभूषा के साथ नृत्य करते हुए उत्तराखंड के कलाकार पेशवाई को मनमोहक बनाया। मोहनदा का कहना है कि सिर्फ निरंजनी अखाड़े में ही नहीं तमाम अखाड़ों से उन्हें इस बार बुलावा आया है। लिहाजा वह अपनी पूरी तैयारी के साथ पूरे कुंभ के दौरान हरिद्वार में ही रहेंगे। महाकुंभ का मेला विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक मेला है। इस मेले का आयोजन हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में होता है। कुंभ में शामिल होने के लिए 14 अखाड़ों की पेशवाई भी निकाली जाती है। पेशवाई यहां अखाड़ों के कुंभ में धूमधाम से पहुंचने को कहते हैं।