लंदन। ब्रिटेन ने हांगकांग को लेकर चीन पर संयुक्त घोषणा का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमिनिक राब ने हांगकांग पर चीन के बढ़ते नियंत्रण की पृष्ठभूमि में यह आरोप लगाया। राब ने कहा कि श्हांगकांग की चुनाव प्रणाली में भागीदारी को लेकर लगाई गई कट्टरपंथी पाबंदियां.. चीन की नीतियों की आलोचना करने वाली सभी आवाजों को दबाने और उन्हें परेशान करने की योजना का हिस्सा है।श्
इस बदलाव के बाद चीन हांगकांग में अपनी कठपुतली सरकार बना सकेगा। इसमें एक समिति बनेगी, जो शहर के मुख्य कार्यकारी (राष्ट्र प्रमुख) का चयन करेगी। इस समिति के पास ही 90 सदस्यीय हांगकांग में ज्यादातर सदस्यों को नियुक्त करने का अधिकार होगा। राब ने कहा कि चीन का यह कदम नौ महीने से भी कम समय में तीसरी बार घोषणा का उल्लंघन है। विदेश मंत्री ने कहा, श्चीनी प्रशासन अगर कार्रवाई जारी रखता है तो अब मुझे बताना होगा कि ब्रिटेन का यह मानना है कि चीन लगातार संयुक्त घोषणा की अवहेलना कर रहा है.. यह चीन के वादों और उसका कार्रवाई के बीच की बढ़ती खाई को दिखाता है।श्
ब्रिटेन और चीन के बीच 1984 में समझौता हुआ था जिसके तहत हांगकांग ब्रिटिश शासन से मुक्त हुआ और 1997 में चीन के शासन में गया। समझौते के तहत हांगकांग को कम से कम 50 साल के लिए स्वायतता, नागरिक अधिकार और आजादी देने की बात हुई थी। चीन ने पिछले साल हांगकांग में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसएल) भी लागू किया था। उसके बाद से लोकतंत्र समर्थक कई लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। हांगकांग के राजनीति हालात के लिए यूरोपीय संघ (ईयू) ने चीन की आलोचना की है। ईयू ने हालात को श्खतरनाक राजनीतिक गिरावटश् और श्स्वायत्तता, लोकतंत्र और मौलिक स्वतंत्रता का क्षरणश् बताया है। साउथ चाइना मॉर्निग पोस्ट के मुताबिक ईयू ने हांगकांग पर अपनी वार्षिक रिपोर्ट में वहां चीन के बढ़ते नियंत्रण की आलोचना की है। ईयू के वाइस प्रेसिडेंट जोसेफ बोर्रेल ने कहा कि हांगकांग में बीजिंग द्वारा लागू किए गए एनएसएल का इस्तेमाल लोकतंत्र समर्थकों, विरोधियों दबाने और मौलिक स्वतंत्रता को खत्म करने में किया जा रहा है। सात विकसित देशों के संगठन जी-7 ने भी हांगकांग के चुनावी व्यवस्था में व्यापक बदलाव करने के चीन के फैसले पर गंभीर चिंता जताई गई है। जी-7 में कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं। इन देशों ने बदलाव को चीन की एक देश दो सिद्धांत के खिलाफ बताया है। इस समूह ने चीन से ब्रिटेन-चीनी संयुक्त घोषणा के तहत काम करने को कहा है। बीजिंग से हांगकांग के लोगों के मौलिक अधिकारों और स्वतंत्रता का सम्मान करने को कहा है।