मुंबई। मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह की चिट्ठी बाहर आने के बाद विपक्षी दल भाजपा सहित कुछ अन्य दलों के नेता राज्य में राष्ट्रपति शासन की मांग करने लगे हैं। भारिप बहुजन महासंघ के अध्यक्ष प्रकाश आंबेडकर व विधान परिषद में नेता विपक्षा प्रवीण दरेकर ने सोमवार को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मिलकर यही मांग की। यदि केंद्र सरकार यह कदम न भी उठाए, तो भी महाराष्ट्र राजनीतिक अस्थिरता की ओर बढ़ता दिखाई देने लगा है। भाजपा के नेता महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी सरकार बनने के बाद से ही कहते रहे हैं कि यह सरकार अपने अंतर्विरोधों से ही गिर जाएगी। वह स्थिति अब नजदीक आती दिखाई देने लगी है।
सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों एवं नौकरशाही में शुरू हुआ टकराव इस अंतर्विरोध को और हवा दे सकता है। पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने न सिर्फ मुख्यमंत्री को लिखे अपने आठ पृष्ठों के पत्र में सरकार को संकट में डालने वाले कई आरोप लगाए हैं, बल्कि सर्वोच्च न्यायालय में दायर अपनी 103 पृष्ठों की याचिका में भी कई ऐसे खुलासे किए हैं, जो सरकार को भारी पड़ सकते हैं। उन्होंने अपनी याचिका में अपने तबादले को नियम विरुद्ध बताते हुए इसकी जांच की मांग की है। अपनी बात को पुष्ट करने के लिए परमबीर ने गृहमंत्री अनिल देशमुख के घर के सीसीटीवी कैमरों की जांच की मांग भी की है। यदि सर्वोच्च न्यायालय ने उनकी मांग पर संज्ञान लेते हुए एनआइए जैसी ही कुछ और केंद्रीय एजेंसियों को इस प्रकरण की जांच का आदेश दे दिया, तो सरकार की मुसीबत और बढ़ती दिखाई देगी। मामला 100 करोड़ प्रति माह की वसूली का है। भाजपा की ओर से इस मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय से कराने की मांग की जा रही है। सचिन वाझे के पास से मिली नोट गिनने की मशीन में सुरक्षित डिजिटल आंकड़ों से कई नए तथ्य सामने आ सकते हैं। अब स्वयं मनसुख हिरेन की हत्या सहित कई आपराधिक मामलों में फंस चुका वाजे अपना मुंह खोलेगा तो राजनीतिक क्षेत्र के भी कई लोगों की दिक्कतें बढ़ सकती हैं। आज भले ही राकांपा नेतृत्व द्वारा गृहमंत्री अनिल देशमुख को बचाने की कोशिश की जा रही हो, लेकिन कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना, तीनों दलों का एक बड़ा वर्ग वसूली का इतना बड़ा रैकेट सामने आने से व्यथित है। ये आरोप छोटे कार्यकर्ताओं को आम जनता से मुंह छिपाने को मजबूर कर सकता है। लेकिन महाराष्ट्र में समस्या यह है कि यदि अपने अंतर्विरोधों से महाविकास आघाड़ी सरकार गिर भी गई तो नई सरकार बनने का रास्ता दिखाई नहीं दे रहा है।